लॉर्ड मेघनाद देसाई भारतीय मूल के ब्रिटिश अर्थशास्त्री और लेबर पार्टी से जुड़े राजनीतिज्ञ हैं. वह अर्थशास्त्र के विश्वविख्यात संस्थान, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर रह चुके हैं. उन्होंने कई किताबें लिखी हैं. उनके 200 से ज्यादा लेख अकादमिक जर्नलों में प्रकाशित हो चुके हैं. वह कई भारतीय व ब्रिटिश अखबारों के लिए नियमित स्तंभ लिखते हैं. 5 सितंबर 2014 को उन्होंने पटना स्थित एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) में...
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‘हिंदी प्रदेश’ की पहचान के मायने- शैबाल गुप्ता
शैबाल गुप्ता जाने-माने अर्थशास्त्री और एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) के सदस्य सचिव हैं. पिछले दिनों इलाहाबाद स्थित गोविंद बल्लभ पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट ने उन्हें 29वें ‘गोविंद बल्लभ पंत मेमोरियल लेक्चर' में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया था. इस अवसर पर बोलने के लिए उन्होंने जो विषय चुना, उसका शीर्षक था- ‘आइडिया ऑफ द हिंदी हार्टलैंड'. हिंदी में इसे ‘हिंदी प्रदेश की धारणा' कहा जा सकता है. इस...
More »सरकार ने विधायकों को पत्रकारों से बात करने से रोका
कोलकाता:राज्य सचिवालय नवान्न भवन में अब तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने विरोधी पार्टियों के संवाददाता सम्मेलन करने के अधिकार को भी छीन लिया है. यह आरोप वाम मोरचा के विधायकों का है. दरअसल, पाट की कीमत को बढ़ाने की मांग को लेकर बुधवार को वाम मोरचा विधायकों का प्रतिनिधिमंडल कृषि मंत्री पूर्णेदु बसु से मिलने पहुंचा था. मुलाकात के बाद जब माकपा विधायक संवाददाताओं को संबोधित करने प्रेस कॉर्नर में...
More »मल्टि-ब्रांड रिटेल में एफडीआई की अनुमति से इनकार
नई दिल्ली। सरकार मल्टि-ब्रांड रिटेल सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति नहीं देगी। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को स्पष्ट तौर पर यह बात कही। नई सरकार के 100 दिन पूरे होने के मौके पर एक संवाददाता सम्मेलन में निर्मला ने कहा, 'हम इस बारे में स्पष्ट हैं कि बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति न दी जाए। इस बारे में कोई असमंजस नहीं है।' सीतारमण...
More »'स्मार्ट सिटी' से हम क्या समझें? - डॉ. पीके चांदे
हमारे देश के राष्ट्रीय एजेंडे में 'स्मार्ट सिटी" को लेकर चर्चा होने लगी है। हालांकि हमारे विकास मॉडल अभी भी पूरी तरह स्पष्ट और नियोजित नहीं हैं। हम विकास के मामले में अपने पड़ोसियों से होड़ तो लेना चाहते हैं, लेकिन संभवत: जापान जैसे विकसित देशों के कुछ रेडीमेड मॉडलों को अपनाते हुए। क्या हम भूल रहे हैं कि हमारी स्थानीय परिस्थितियां जुदा हैं और इस तरह की पुनर्संयोजन व्यवस्था...
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