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सब्जी बेचकर कैसे करोड़पति बन गए आइआइएम के छात्र

अहमदाबाद। यह सुनने में अजीब लगता है कि देश के एक शीर्ष मैनेजमेंट संस्थान से दो एमबीए डिग्रीधारक आज की तारीख में सब्जी बेचते हैं। लेकिन जब आप उनकी कमाई में बारे में जानेंगे तो चौंक भी जाएंगे। आज इन सब्जी बेचने वालों में से एक युवा की एक दिन की कमाई कई करोड़ रुपये तक हो गई है। देश के शीर्ष मैनेजमेंट संस्थान आइआइएम अहमदाबाद से 2007 में एमबीए की डिग्री...

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आठ वर्ष में दूध का उत्पादन 80 मिलियन बढ़ाना होगा

अहमदाबाद [शत्रुघ्न शर्मा]। भारत में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 291 ग्राम है जबकि विकसित देशों में 500 ग्राम है, बढ़ती जनसंख्या के साथ देश को अगले आठ वर्ष में दूध का उत्पादन 80 मिलियन टन बढ़ाना होगा। भारत सरकार ने इसके लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड को नेशनल डेयरी योजना सौंपी है जिसके तहत जानवरों की नस्ल सुधार के साथ दूध के उत्पादन को बढ़ाया जाएगा, देश के 40 हजार...

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नर्मदा पर रार- शिरीष खरे(तहलका हिन्दी)

नरेंद्र मोदी और शिवराज सिंह चौहान अपने-अपने राज्यों के सूखे इलाकों में नर्मदा का पानी पहुंचाना चाहते हैं. क्या उनकी यह महत्वाकांक्षी कावेरी जल विवाद जैसी अंतहीन समस्या खड़ी करने वाली है? शिरीष खरे की रिपोर्ट. भले ही गुजरात और मध्य प्रदेश में एक ही पार्टी भारतीय जनता पार्टी की सरकार हो लेकिन नर्मदा को लेकर दोनों राज्य द्वंद्व और टकराव के मुहाने पर खड़े हैं. पानी के बंटवारे को लेकर गुजरात...

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कड़वे बादाम : दिल्ली के बादाम उद्योग में मज़दूरों का शोषण

  उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दूर-दराज़ कोने में बसी हुई, शोर-ग़ुल और चहल-पहल भरी करावलनगर की बस्ती, अनौपचारिक क्षेत्र के उद्यमों का एक उभरता हुआ केन्द्र है, जहाँ बड़ी संख्या में प्रवासी मज़दूर और उनके परिवारों को रोज़गार मिलता है। ये उद्यम किसी भी मानक से छोटे नहीं है। वैश्विक सम्‍बन्‍धों की जटिल श्रृंखला में बँधे ये उद्यम, सालभर चालू रहते हैं और हज़ारों मज़दूरों के रोज़गार का स्रोत हैं। कई करोड़...

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गुजराती स्कूलों में पढ़ाए जा रहे हैं अश्लील जोक्स

अहमदाबाद. गुजरात में स्कूलों में बच्चों को अश्लील जोक्स पढ़ाए जा रहे हैं। यह चौंकाने वाला सच गुजरात के सरकारी प्राइमरी स्कूलों का है, जहां पिछले दो महीनों से बच्चे अश्लील जोक्स पढ़ रहे हैं। इन स्कूलों में पढ़ रहे अभिभावकों को इस बात की चिंता है कि इससे उनके बच्चों की मानसिकता पर बहुत बुरा असर पड़ेगा।   दरअसल, सर्व शिक्षा अभियान के तहत पांचवीं तक के बच्चों को बाल साहित्य के नाम...

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