इन दिनों बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों में प्रवेश को लेकर भागदौड़ मची हुई है. बारहवीं की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास करनेवाले बच्चे तक ऐसे परेशान घूम रहे हैं, जैसे दो-चार अंक कम लाकर उन्होंने कोई अपराध कर दिया हो. कई ऐसे भी बच्चे मिले जिनका यह दावा है कि उन्हें किसी एक विषय में जितने अंक मिलने चाहिए थे, वे नहीं मिले हैं, लेकिन स्नातक में प्रवेश की चिंता में वे...
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भारतीय समाज के नए यथार्थ-- ज्योति सिडाना
वर्ष 2016 में सेंटर फॉर द स्टडी आॅफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) ने कोनराड एडेन्यूर स्टीफटुंग (केएएस) के साथ मिल कर ‘भारत में युवाओं की अभिवृत्ति' विषय पर एक अध्ययन किया। इस सर्वे में पंद्रह से चौंतीस वर्ष के भारतीय युवाओं (देश में युवा आबादी करीब पैंसठ फीसद है) से अनेक सवाल पूछे गए। आंकड़ों के अनुसार अस्सी फीसद युवा ज्यादा चिंतित या असुरक्षित महसूस करते हैं। उनमें चिंता के मुख्य...
More »अकथ कहानी खेत की-- राकेश दीवान
जून महीने के बीस दिनों में हुर्इं चालीस से अधिक किसानों की आत्महत्याओं का किसी के पास कोई जवाब नहीं है। किसान आंदोलन से निपटने के लिए सरकार को ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य' पर केवल तुअर, मूंग और उड़द खरीदने और आठ रुपए किलो में प्याज खरीदने और फिर भंडारण की कमी के चलते सड़ाने की तजवीज भर नजर आई। आज भी किसानी ‘अन-स्किल्ड' यानी अकुशल श्रम भर मानी जाती है...
More »एनडीए के राज में कितना कम हुआ भ्रष्टाचार, पढ़िए इस रिपोर्ट में..
‘ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा-' क्या आप बता सकते हैं कि तीन साल पहले चुनाव-प्रचार के दौरान कही गई इस बात पर कितने लोग विश्वास करते हैं ? इस सवाल का जवाब जानने में आपकी मदद सेंटर ऑफ मीडिया स्टडीज(सीएमएस) का एक अध्ययन कर सकता है. विकास के मुद्दों पर शोध और मीडिया एडवोकेसी की इस संस्था के हालिया अध्ययन सीएमएस-इंडिया करप्शन स्टडीज के मुताबिक लगभग 40 फीसद लोगों का विश्वास है कि मोदी...
More »शिक्षा की परीक्षा-- जगमोहन सिंह राजपूत
देश की शिक्षा व्यवस्था की वर्तमान स्थिति चिंताजनक है और इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि सरकारी शैक्षणिक संस्थानों की साख लगातार गिरती जा रही है। जिस प्रकार की घटनाएं सामने आ रही हैं वे बेहद चौंकाने वाली हैं। बिहार में 12वीं की परीक्षा में करीब 65 फीसदी विद्यार्थी फेल हो गये। क्यों फेल हो गए, क्योंकि वहां योग्य शिक्षकों का घोर अकाल हो गया है। संविदा शिक्षकों की...
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