-आउटलुक, मोदी सरकार के 3 नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के तहत किसानों द्वारा 26 और 27 नवंबर को दिल्ली कूच के एलान के बीच हरियाणा में बीती आधी रात को अलग-अलग जगहों पर कई किसान नेताओं के घर छापेमारी की गई है। किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि बिना किसी वारंट के हरियाणा में फतेहाबाद, हिसार, झज्जर, सिरसा सहित कई जगहों से लगभग 12 किसान नेता गिरफ्तार...
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'चलो दिल्ली' पर बोले बलवीर सिंह राजेवाल- "हमें रोका गया तो दिल्ली-हरियाणा को चारों तरफ से घेरेंगे, किसान के पास मरने के सिवा कोई विकल्प ही नहीं"
-गांव कनेक्शन, "कोरोना हो या लॉकडाउन हो, हमें फर्क नहीं पड़ता। देखिए किसान को तो मरना ही है। कोरोना नहीं मार पाएगा तो मोदी सरकार की नीतियां मार देंगी। काले कानूनों के खिलाफ दिल्ली कूच तय है। अगर हमें हरियाणा वाले रोकेंगे तो हरियाणा को चारों तरफ से घेर लेंगे और दिल्ली को यूपी वाले यूपी की तरफ से राजस्थान वाले राजस्थान की तरफ से, जो जहां रोका जाएगा डेरा डाल...
More »26-27 नवंबर को किसानों-मज़दूरों का मोर्चा देश को बचाने की लड़ाई है
-न्यूजक्लिक, यह एक संयोग मात्र नहीं है, वरन जनांदोलनों के बीच बढ़ती एकता का नमूना है कि 26-27 नवंबर को देश के सारे किसान और मज़दूर संगठनों ने मोदी सरकार के खिलाफ हल्ला बोला है, मज़दूरों की आल इंडिया जनरल स्ट्राइक और किसानों का दिल्ली चलो एक ही दिन! मज़दूरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान करने वाले Joint Platform of Central Trade Unions and Sectoral Federations & Associations ने अपने मांग पत्र...
More »बिहार ने दिया है वाम दलों को और मज़बूती से जनता की लड़ाई लड़ने का जनादेश
-न्यूजक्लिक, बिहार चुनाव के सभी परिणाम आ गए है कांटे की टक्कर में एनडीए गठबंधन की जीत हुई और महागठबंधन की हार हुई। लेकिन इस नतीजे तक पहुंचने में बहुत समय लगा और मंगलवार देर रात तक इसका निर्णय हुआ की कौन विजेता है परन्तु इस चुनाव के शुरुआती रूझानों ने यह सत्यापित कर दिया था कि वामदल इस चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने जा रहे हैं। वाम दलों ने 1995...
More »भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन: 100 साल के सफ़र के पाँच पड़ावों ने बदला इतिहास
-बीबीसी, भारत में ही नहीं यूरोप या किसी अन्य महाद्वीप में आज कम्युनिस्ट आंदोलन बहुत मजबूत नहीं रह गया है. लेकिन इस दौरान इस विचारधारा की राजनीति भारत में अपने 100 साल पूरे कर लिए हैं. अब तक के इस सफ़र के पांच सबसे अहम पड़ाव और भारतीय राजनीति में उनके मायनों पर एक नज़र: 1. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ताशकंद में स्थापना-कांग्रेस के साथ रिश्ते भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की शुरुआत 17 अक्टूबर, 1920...
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