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किसान बढ़े तो अर्थव्यवस्‍था उबरे

-आउटलुक, “मंदी के दुश्चक्र से, देश की अर्थव्यवस्‍था किसान की हालत सुधरने से ही निकलेगी, लेकिन खेती-किसानी की आय में इजाफे के लिए सरकारी बैसाखी नाकाफी, किसानों की संगठित पहल जरूरी” हाल में आए देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के ताजा आंकड़ों के मुताबिक चालू साल की तीसरी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर 4.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, जो सात साल में सबसे...

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सामाजिक असमानताओं के कुचक्र में फंसा 'डिजीटल इंडिया' का सपना

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) की एक हालिया रिपोर्ट डिजिटल डिवाइड और भारत के कैशलेस अर्थव्यवस्था बनने के विरोधाभास को उजागर करती है. नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) की ‘भारत में शिक्षा पर घरेलू सामाजिक उपभोग के प्रमुख संकेतक, जुलाई 2017 से जून 2018' नामक रिपोर्ट में कंप्यूटर और इंटरनेट की उपयोगिता के मामले में ग्रामीण-शहरी विभाजन काफी स्पष्ट दिखता है. शिक्षा पर 75वें दौर के नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) की...

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मिड डे मीलः योगीराज में जानलेवा लापरवाही

- बीबीसी हिंदी   प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को मिलने वाले भोजन यानी मिड डे मील में ख़राब भोजन मिलना, भोजन में मरे चूहे या फिर छिपकली का मिलना आम बात सी हो गई है, वहीं लापरवाही इस क़दर बढ़ती जा रही है कि खाने के बर्तन में तीन साल की बच्ची गिर गई और खाना बनाने वाले को पता ही नहीं चला. उत्तर प्रदेश में मिर्ज़ापुर ज़िले के रामपुर अतरी गांव में...

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उम्मीदें बजट 2020: कस्बों के अस्पताल दुरुस्त हो जाएं तो बड़े अस्पतालों पर कम पड़े बोझ

लखनऊ। सरकारी अस्पतालों में लगने वाली लंबी-लंबी लाइनें, प्राइवेट अस्पतालों के बढ़ते खर्चे के बीच सभी की निगाहें देश के अगले बजट पर हैं। क्या प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की हालत सुधारने के लिए बजट में खास व्यवस्था होगी? देश भर में स्वास्थ्य सेवाओं पर जारी होने वाली रिपोर्ट 'नेशनल हेल्थ प्रोफाइल-2018' के अनुसार देश में 37,725 सरकारी अस्पतालों में 7,39,024 बेड हैं। करीब 10 हजार लोगों पर सिर्फ एक एलोपैथि‍क...

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धरती कथा: डायरेक्ट की इनडायरेक्ट मुश्किलें

-आउटलुक हिंदी   “खाद्य महंगाई दर दहाई अंकों में चली गई है। उपभोक्ता हित के लिए घरेलू किसानों की कीमत पर सस्ते आयात का रास्ता फिर खोला जा सकता है” डायरेक्ट यानी प्रत्यक्ष का रास्ता कई इनडायरेक्ट यानी अप्रत्यक्ष दिक्कतें लेकर आता है। यह बात कृषि क्षेत्र और किसानों के मामले में काफी हद तक लागू होती है। मसलन, सरकार को पता है कि दूध, गन्ना, आलू और प्याज जैसी फसल उगाने वाले...

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