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भेदभाव के शिकार बिहार जैसे राज्य-- डा. शैबाल गुप्ता

केरल के वित्त मंत्री डॉ टीएम थॉमस इसाक ने 10 अप्रैल, 2018 को दक्षिण भारत (तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और केरल) के सभी वित्त मंत्रियों की बैठक बुलायी है. बैठक 15वें वित्त आयोग के टर्म ऑफ रेफरेंस (टीओआर) के संबंध में केंद्र सरकार के पास सामूहिक राय पेश करने के लिए बुलायी गयी है. क्योंकि, इस वित्त आयोग में संसाधनों के वितरण के लिए 2011 की जनगणना को आधार...

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जाति के जाल से कर्नाटक भी नहीं बचा-- एस श्रीनिवासन

अब जब कर्नाटक विधानसभा चुनाव में चंद हफ्ते रह गए हैं, तो राज्य में चुनावी गहमागहमी चरम की ओर बढ़ चली है। हालांकि कर्नाटक की आर्थिक स्थिति कई अन्य सूबों के मुकाबले बेहतर है, फिर भी इसकी अपनी कुछ समस्याएं तो हैं ही। राज्य में खेती-किसानी काफी दबाव में है। इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि साल 2012 से 2017 के बीच वहां 3,500 से अधिक किसानों...

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जल संकट के लिए तैयार रहें-- आशुतोष चतुर्वेदी

र्मी शुरू हो गयी है. हम सब जानते हैं कि हर साल की तरह हमारे गांव, कस्बे और शहर पानी की कमी से जूझेंगे. लेकिन, इस विषय में हम तभी सोचते हैं, जब समस्या हमारे सिर पर आ खड़ी होती है. न तो सरकारों की ओर से कोई ठोस पहल होती है और न ही समाज की ओर से कोई अभियान छेड़ा जाता है. समस्या केवल कम बारिश की नहीं...

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संघवाद पर लगी ताजा चोट--डॉ टीएम थॉमस इसाक

राजव्यवस्था का एक सामान्य सिद्धांत है कि वित्तीय संसाधनों का सबसे सही आवंटन सरकार का वह स्तर करता है, जो लाभुकों से सर्वाधिक निकटस्थ होता है, जबकि संसाधनों के बेहतरीन संग्रहण की अपेक्षा सरकार के उस स्तर से की जाती है, जो करदाताओं से सर्वाधिक सुदूर स्थित है. इसलिए सभी सहयोगात्मक संघीय व्यवस्थाओं में कराधान की शक्ति सामान्यतः केंद्र सरकार के पास केंद्रित रहती है, जबकि व्यय का भार...

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जहरीला होता जमीन का पानी-- पंकज चतुर्वेदी

जमीन में पानी का अकूत भंडार है। यह पानी का सर्वसुलभ और स्वच्छ स्रोत है। लेकिन यदि एक बार दूषित हो जाए तो इसका परिष्करण लगभग असंभव होता है। भारत में जनसंख्या बढ़ने के साथ घरेलू इस्तेमाल, खेती और औद्योगिक उपयोग के लिए भूगर्भ जल पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। जमीन से पानी निकालने की प्रक्रिया ने भूजल को खतरनाक स्तर तक जहरीला बना दिया है। इसके लिए समाज...

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