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शिक्षा: पास-फेल व्यवस्था पर शीघ्र पेश होगा बिल, 5वीं से 8वीं तक दो बार मौका: जावड़ेकर

कोलकाता: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शनिवार को कहा कि पांचवीं से आठवीं कक्षा तक छात्रों को फेल न करने की नीति बदलने के लिए जल्द ही संसद में विधेयक पेश किया जायेगा. उन्होंने बताया कि पांचवीं से आठवीं तक बच्चों के मूल्यांकन के लिए दो परीक्षाएं होंगी. मार्च की परीक्षा में फेल होने वाले बच्चों को मई में एक मौका दिया जायेगा. इस परीक्षा में भी...

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा-पूरी तरह नहीं मिल सकता RIGHT TO PRIVACY, इसका हो सकता है नियमन

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि निजता का अधिकार ऐसा अधिकार नहीं हो सकता जो पूरी तरह मिले और सरकार के पास कुछ शक्ति होनी चाहिए कि वह इस पर तर्कसंगत बंदिश लगा सके. न्यायालय ने इस मुद्दे पर विचार करते हुए बुधवार को यह टिप्पणी की कि निजता का अधिकार संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया जा सकता है कि नहीं. प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर...

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निजता मूल अधिकार है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों की बेंच जारी रखेगी सुनवाई

निजता भारतीय नागरिक के मूल अधिकारों में से एक है या नहीं, यह तय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई। याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत की संविधान सभा को बताया कि निजता मानव जीवन की सभी क्रियाओं और स्‍वतंत्रता में निहित है। सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्‍यीय बेंच इस मामले पर गुरुवार को सुनवाई जारी रखेगी। 55 साल पहले, सुप्रीम कोर्ट ने तय किया था कि...

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सामाजिक सुरक्षा की दिशा में कदम-- अनूप भटनागर

छद्म विवाह, बाल विवाह, बहु विवाह और पति द्वारा पत्नी का परित्याग करने जैसी प्रवृत्तियों की रोकथाम के साथ ही वैवाहिक विवादों और बच्चों की कस्टडी से संबंधित मामलों में महिलाओं को अनावश्यक परेशानियों से बचाने के इरादे से एक बार फिर सभी नागरिकों के लिये 30 दिन के भीतर विवाह का पंजीकरण कराना अनिवार्य करने का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है। वैसे तो देश में सिख समुदाय और...

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स्कूली शिक्षा में भेदभाव की विषबेल-- प्रियंका कानूनगो

भारत की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में कई प्रकार से शैक्षिक भेदभाव व्याप्त है, खासतौर पर स्कूली शिक्षा में इसकी जड़ें बहुत गहरे जम चुकी हैं। इस विषबेल को खाद, पानी, पोषण देने वाला ताकतवर समूह शिक्षा का बाजारीकरण कर उस बाजार का नियंत्रक बना बैठा है, जो कि संगठित माफिया की तरह कार्यरत है। वह न केवल नियमों को तोड़ता है बल्कि मनमाफिक नियम निर्धारण में भी पर्याप्त सक्षम है।...

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