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लॉकडाउन की वजह से बहुत सी जानें ऐसी गईं जिन्हें बचाया जा सकता था, इनमें मजदूरों की संख्या सबसे ज्यादा

-गांव कनेक्शन,  कोरोना महामारी से लोगों की जान बचाने के लिए लगभग पूरा देश बंद है। इसी बंदी (लॉकडाउन) में लाखों वे लोग भी फंसे हैं, जिनका जहां पर हैं वहां रहना उनके लिए संभव नहीं है। प्रवासी कामगारों, मजदूरों की वापसी पिछले कुछ दिनों से लगातार चर्चा में है। श्रमिक स्पेशल ट्रेन चली हैं, बसें चलाई गईं हैं, लेकिन इन सबके बीच एक रिपोर्ट में सामने आया है कि लॉकडाउन...

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घर लौटा प्रवासी मजदूर इज्ज़त के साथ अपने गांव में कैसे टिके और परिवार पाले? कुछ कारगर सुझाव

-जनपथ, हम घर जाना चाहते हैं ! प्रवासी मजदूर आज जहां कहीं भी हैं, ज्यादातर की मांग यही है। सवाल है कि उनके घर में स्थितियां कैसी हैं? अपने घर लौटकर आत्मसम्मान और गरिमा के साथ जीने के लिए उन्हें क्या करना होगा? झारखंड सरकार की घोषणा के अनुसार लॉकडाउन हटने पर कम से कम पांच लाख झारखंडी प्रवासी मजदूर देश के विभिन्न हिस्सों से अपने घर लौटेंगे। आश्वासन दिया गया है कि...

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हजारों मजदूरों पर लॉकडाउन तोड़ने के आरोप में मुकदमे का खतरा

-इंडिया टूडे, लॉक डाउन की वजह से त्राहि-त्राहि कर रहे प्रवासी मजदूरों पर एक और संकट मंडराने लगा है. लॉक डाउन के दौरान पैदल या किसी वाहन से अपने घर पहुंचे या पहुंचने की कोशिश कर रहे मजदूरों पर एफआईआर दर्ज होने लगा है. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि अभी तक 300 से अधिक ऐसे लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुका है, जो लॉक डाउन का उल्लंघन...

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लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों के सामने खाने का संकट, मानवाधिकार संगठनों ने मांगा सबके लिए मुफ्त राशन

-गांव कनेक्शन,  "हम अगले 20 दिन क्या, 50 दिन भी यहीं रूक जाएं, लेकिन हमें खाने के लिए राशन-पानी तो मिले," लॉकडाउन बढ़ने के सवाल पर हेमंत पोद्दार कहते हैं। हेमंत (30 वर्ष) बिहार के कटिहार जिले के निवासी हैं और मुंबई के बांद्रा इलाके में रहकर निर्माण मजदूर का काम करते हैं। उनके साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के लगभग 600 मजदूर उनके इलाके में रहते हैं, जिसका...

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मजदूर दिवस: क्यों शासन पर भरोसा नहीं कर पाए प्रवासी मजदूर

-डाउन टू अर्थ,  मूलरूप से बिहार के पूर्णिया जिले में रहने वाले सुरेश वर्मा आठ साल पहले बेहतर जिंदगी की तलाश में औद्योगिक नगरी फरीदाबाद आए थे। शुरू में उन्होंने एक फैक्ट्री में नौकरी की लेकिन चार साल पहले फैक्ट्री में छंटनी के कारण उनकी नौकरी चली गई। नौकरी छूटते ही उन्होंने पहले मजदूरी और फिर राजमिस्त्री का काम शुरू कर दिया। लॉकडाउन ने उनका यह काम भी छीन लिया। उनके...

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