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राजस्थान में आदिवासी अधिकारों की अनदेखी

सामाजिक अधिकारिता के कानूनों के होने भर से किसी समुदाय के सशक्तीकरण की गारंटी होती तो राजस्थान का आदिवासी समुदाय ना तो शिक्षा के बुनियादी अधिकार से वंचित रहता और ना ही अपनी जीविका के जरुरी साधन जमीन से। मिसाल के लिए इन तथ्यों पर गौर करें।राजस्थान की कुल आबादी में आदिवासी समुदाय की तादाद १२.४४ फीसदी है और साक्षरता-दर है ४४.७ फीसदी जबकि सूबे की औसत साक्षरता दर इससे कहीं ज्यादा ऊंची(६१.०३ फीसदी) है। क्या शिक्षा...

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राजस्थान : 22 दिन, 15 मौतें, राज बरकरार

उदयपुर जोधपुर के उम्मेद अस्पताल में 2२ दिन में 15 प्रसूताओं की मौत हो चुकी है। लेकिन, अब तक इन प्रसूताओं की मौत के कारणों का राज बरकरार है। हालांकि, सोमवार को यहां दौरे पर आए चिकित्सा मंत्री दुरु मियां ने विशेषज्ञ टीम से जांच करने की घोषणा जरूर की है। इस दौरान वे पत्रकारों के सवालों से बचते रहे। यहां एमबी अस्पताल के निरीक्षण के दौरान मंत्री ने कहा कि प्रसूताओं की...

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31 तक संपत्ति की घोषणा करेंगे शिक्षक

राज्य के करीब तीन लाख स्कूली शिक्षक भी अपनी सम्पत्ति की घोषणा करेंगे। उनके साथ शिक्षा अधिकारी और कर्मचारी भी। चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों को इससे राहत दी गयी है। यह ब्योरा 31 जनवरी तक दे देना है। ब्योरा देने के बाद ही अगले माह का वेतन मिलेगा। निदेशक प्रशासन मानव संसाधन मिसबाह बारी के हस्ताक्षर से इस संबंध में सोमवार को आदेश जारी कर दिया गया। हालांकि अगले साल...

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सूचना आयुक्त ही दबा रहे हैं जानकारी -- सचिन जैन और रोली शिवहरे

हमने तंत्र और उसे चलाए रखने वाले लोगों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये सूचना के अधिकार कानून की पैरवी की थी, परन्तु जब सरकार इसे लागू करने के लिये जिम्मेदार आयोगों में नौकरशाहों को नियुक्त करने लगती है तब हमें चौकन्ना हो जाना चाहिये. अपने सेवाकाल के करीब तीस सालों या 12775 दिनों में तंत्र के हिस्से के रूप में काम करते हुये जिन लोगों ने उसे गैर जवाबदेह बनाया,...

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' हमारी 108 ने दुनिया के सारे रिकार्ड तोड़े हैं '

नित्यानंद स्वामी, भगत सिंह कोश्यारी, नारायण दत्त तिवारी और भुवन चंद्र खंडूड़ी के बाद डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ राज्य के पांचवें मुख्यमंत्री हैं. पिछले 10 सालों में ‘राज्य की दशा और दिशा’ पर उन्होंने मनोज रावत से बात की   अलग राज्य बनने के बाद दस वर्षों का क्या अनुभव है? मैं सोचता हूं कि इन वर्षों को राज्य के सुखद और आशाओं से भरे समय के रूप में देखा जा सकता...

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