झाबुआ, मध्यप्रदेश: कुपोषण ने दो दर्जन से ज्यादा बच्चों को निगला है- यह हाल आदिवासी जिले झाबुआ का है, जहां मेघनगर ब्लाक के अगासिया और मदारानी गांवों में बच्चों की मौत का सिलसिला है कि टूटता ही नहीं। फिलहाल पूरा मध्यप्रदेश ही इतना भूखा है कि यहां न जाने क्यों भूख का नामोनिशान है कि मिटता ही नहीं ?केवल अक्टूबर में ही झाबुआ के इन 2 गांवों से 25 बच्चों...
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भारतीय बच्चे कुपोषण के शिकार
संयुक्त राष्ट्र। भारत में पांच वर्ष से कम उम्र के ऐसे बच्चों की संख्या काफी अधिक है जिनका कुपोषण के कारण विकास अवरुद्ध हो गया है। यूनीसेफ की ताजा रपट के अनुसार विकासशील दुनिया में पांच वर्ष से कम उम्र के लगभग 20 करोड़ ऐसे बच्चे हैं जिनका कुपोषण के कारण विकास अवरुद्ध हो गया है। बाल विकास एवं मातृत्व पोषण प्रगति स्थिति रपट के अनुसार बच्चों का विकास अवरुद्ध...
More »सांझा चूल्हा योजना से जुड़ा मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम
भोपाल। मध्यप्रदेश में कल से शुरू हो रही 'साझा चूल्हा' योजना से उसी रसोई को जोड़ा गया है, जो अब तक 'मध्यान्ह भोजन योजना' के तहत स्कूली बच्चों के लिए भोजन बनाया करती थी। प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि जिस रसोई में स्व-सहायता समूहों द्वारा 'मध्यान्ह भोजन योजना' में बच्चों के लिए भोजन बनाया जाता है। अब...
More »राज्य आंदोलनकारी की विधवा दो जून रोटी को तरसी
जैंती (अल्मोड़ा) : उत्ताराखण्ड राज्य आंदोलन में अपनी शहादत देने वाले जिले के एकमात्र आंदोलनकारी की विधवा मेहनत मजदूरी कर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर रही है। नेताओं के लाख घोषणाओं के बावजूद शहीद की जन्मस्थली मिरोली गांव आज भी रोड, पानी, बिजली के लिए मोहताज है। उत्ताराखण्ड राज्य आंदोलन के दौरान अल्मोड़ा जनपद के मल्ला सालम के मिरोली निवासी प्रताप बिष्ट की 3 अक्टूबर 1994 को पुलिस...
More »भुखमरी-एक आकलन
खास बात - साल 1990 में भारत का जीएचआई अंक 32.6 था, साल 1995 में यह अंक 27.1, साल 2000 में 24.8, साल 2005 में 24.0 तथा साल 2013 में 21.3 था। साल 2013 में भारत का जीएचआई अंक(21.3) चीन (5.5), श्रीलंका (15.6), नेपाल (17.3), पाकिस्तान (19.3) और बांग्लादेश (19.4) से बदतर है।@ -साल १९८३ में देश के ग्रामीण अंचलों में प्रति व्यक्ति प्रति दिन औसत कैलोरी उपभोग २३०९ किलो कैलोरी का था जो साल १९९८ में घटकर २०१०...
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