जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
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चंद रुपयों में बिक रहे सपने
पानीपत. पेट की भूख और पैसे की ललक मासूमों का बचपन निगल रही है। जिले में बाल श्रमिक और ड्राप्ट आउट की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग बेफिक्र हैं। सरकार ऐसे बच्चों को राइट टू एजूकेशन के तहत शिक्षित करने का बल दे रही है, लेकिन सरकार की यह कोशिश भी बाबूओं की कलम के नीचे दब गई है। सरकार की योजना की पहुंच...
More »बाप के होते भी बेसहारा बच्चे
मुजफ्फरपुर [जाटी]। उत्तर बिहार में बाल श्रमिक उन्मूलन के लिए हवा में ही तलवारबाजियां हो रही हैं। रोज नए-नए दावे किए जाते हैं, लेकिन यहां के हर जिले में उन बच्चों की बड़ी तादाद है, जो बाप के होते भी बेसहारा हैं और बाल मजदूरी करने को विवश हैं। उन्मूलन के लिए सरकारी और गैरसरकारी स्तर पर हो रहे प्रयासों का कोई सार्थक नतीजा नहीं निकल पा रहा है। ...
More »हौसले के पंख से मिली मंजिल
राजगंज, धनबाद [शुभंकर राय]। कहते हैं हौसले हों बुलंद तो कोई भी कार्य नामुमकिन नहीं। इसे सच कर दिखाया है एक ग्रामीण महिला गीता ने। अथक प्रयास व अदम्य साहस के साथ बुलंद हौसले ने पहले तो खुद को कामयाबी दिलाई। इसके बाद उनके प्रयास से आसपास की सैकड़ों महिलाओं की जिंदगी में नया सबेरा आया। हौसले के पंख से उसे मंजिल मिल गई। स्वावलंबन के साथ विकास की...
More »100 दिन नहीं, उम्रभर रोजगार की गारंटी
बिलासपुर. रोजगार गारंटी योजना का मकसद हर हाथ को कम से कम 100 दिनों का रोजगार दिलाना है, लेकिन बिलासपुर जिले के एक गांव ने इस योजना के मायने ही बदल दिए हैं। यहां के लोगों को 100 दिन नहीं, बल्कि पूरी उम्रभर के लिए रोजगार मिल गया है। योजना पर इस तरह से काम किया गया है कि ग्रामीण जब तक चाहें 101 रुपए हर रोज के हिसाब से आय...
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