-डाउन टू अर्थ, हाल ही में किए एक शोध से पता चला है कि जो लोग मोटापे और वजन की समस्या से जूझ रहे हैं उनमें कोरोना के गंभीर संक्रमण का खतरा कहीं ज्यादा है| यही नहीं उन्हें इससे उबरने के लिए ऑक्सीजन और सांस सम्बन्धी उपायों का कहीं अधिक सहारा लेना पड़ता है| मर्डोक चिल्ड्रन रिसर्च इंस्टीट्यूट और द यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड द्वारा किया यह शोध जर्नल डायबिटीज केयर में...
More »SEARCH RESULT
घुमंतू समुदाय: आशियाने की आस में समाज के हाशिये पर खड़े लोग
-असली भारत, बदलते परिवेश में भी बागड़ी लौहार अपनी परंपरा और संस्कृति को सहेजे हुए हैं। लेकिन आज भी उनके पास रहने के लिए न तो जमीन का टुकड़ा है और न ही सिर पर छत दोपहर के करीबन दो बजे हैं, तेज धूप और धूल भरी गर्म हवा से बचने के लिए गुरजीत तीन बच्चों के साथ अपने झोपड़ीनुमा तम्बू में बैठे हैं। चार साल की लाड्डो मिट्टी के कच्चे फर्श...
More »विकास, समृद्धि और वृद्धि के मामले में महामारी के दौरान विश्व का अग्रणी बनने की दौड़ में चीन के मुकाबले भारत पिछड़ा!
पिछले एक वर्ष के दौरान, कोविड-19 महामारी द्वारा लाई गई मंदी की बदौलत विकास, समृद्धि और वृद्धि के मामले में विश्व का अग्रणी बनने की दौड़ में भारत पिछड़ता नजर आ रहा है. साल 2020 में देश में कुल गरीब लोगों की संख्या बढ़ गई है और मध्यम वर्ग पहले की तुलना में कम हो गया है. संयुक्त राज्य अमेरिका के थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर के एक नए अध्ययन से...
More »विश्व स्वास्थ्य दिवस: एक साफ, स्वस्थ विश्व के निर्माण का संकल्प
-जनपथ, भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के पैमाने पर ‘‘जन स्वास्थ्य’’ एक जरूरी मसला है। सार्वजनिक जन स्वास्थ्य के बिना किसी भी व्यक्ति के लिए स्वस्थ और सुखी रहना नामुमकिन है। कोई व्यक्ति यदि महज धन सम्पत्ति के बदौलत यह सोचता है कि वह अच्छा स्वस्थ्य भी हासिल कर लेगा तो यह उसकी गलतफहमी है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना जरूरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) आज...
More »बात बोलेगी: कश्मीर में बैठ के कश्मीर को समझने का अहसास-ए-गुनाह
-जनपथ, जीने का सुभीता तलाशने की आदिम और अभिनव प्रवृत्ति के चलते मनुष्य बना और बचा रहता है। स्वाभिमान, सम्मान और इज्ज़त-प्रतिष्ठा सब खाये-अघाये लोगों के शगल हैं। ज़रूरी बात है जीना और जब जिस तरह जीना संभव हो उस तरह जीना और खुद को लंबे समय तक बचाए रखना। यह लंबा समय कितना भी लंबा हो सकता है। आखिर प्रतीक्षा करना भी उतना ही आदिम और अभिनव स्वभाव है। हमें दूर...
More »