बैतूल। बैतूल जिले के ठेठ ग्रामीण परिवेश में पली बढ़ी किसान परिवार की सरकारी स्कूल में अध्ययनरत एक छात्रा ने म.प्र हाई स्कूल परीक्षा में लालटेन की रौशनी में पढ़ाई कर बिना ट्यूशन और कोचिंग के ही बैतूल जिले की प्रवीणता सूची में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। छात्रा की इस सफलता से शाला परिवार और उनके परिजन सहित ग्रामवासी खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा मंडल मप्र की ओर से...
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हमारा बीपीएल और उनका आईपीएल- देविंदर शर्मा
2009 में जब विश्व आर्थिक मंदी की आग में जल रहा था और इसकी तपिश भारत में भी महसूस की जा रही थी, तब भारत ने तीन किस्तों में करीब साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज जारी किया था. हम सरकारी अनुदान हड़पने में किसानों और गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को दोषी ठहराते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि उद्योग और व्यवसाय जगत इनसे कई...
More »सरकारी कागजों में स्लम का अकाल
अगर कोई पूछे कि मुंबई महानगर में झोपड़ बस्तियों को हटाने की दिशा में जो काम हो रहा है, उसका क्या असर पड़ा है तो इस सवाल का एक जवाब ये भी हो सकता है- आने वाले दिनों में झोपड़ बस्तियों की संख्या बढ़ सकती है. मुंबई महानगर का कानून है कि जो बस्ती लोगों के रहने लायक नहीं है, उसे स्लम घोषित किया जाए और वहां बस्ती सुधार की योजनाओं...
More »किसानों की गरीबी घटाने में छोटी जोतें बड़ी बाधा
लखनऊ। सरकार का नजरिया कुछ भी हो पर कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में 91 फीसदी किसानों की जोतें इतनी छोटी हैं कि इनके बूते गरीबी उन्मूलन तो दूर की बात, उनके परिवारों का पेट भर पाना ही कठिन है। इस मजबूरी में कृषि विविधीकरण सहित तमाम कृषि सुधार योजनाओं का फोकस सिर्फ नौ फीसदी किसान हैं, जिनके बूते सरकार कभी उत्पादन दुगुना करने का सपना देखती...
More »भुखमरी-एक आकलन
खास बात - साल 1990 में भारत का जीएचआई अंक 32.6 था, साल 1995 में यह अंक 27.1, साल 2000 में 24.8, साल 2005 में 24.0 तथा साल 2013 में 21.3 था। साल 2013 में भारत का जीएचआई अंक(21.3) चीन (5.5), श्रीलंका (15.6), नेपाल (17.3), पाकिस्तान (19.3) और बांग्लादेश (19.4) से बदतर है।@ -साल १९८३ में देश के ग्रामीण अंचलों में प्रति व्यक्ति प्रति दिन औसत कैलोरी उपभोग २३०९ किलो कैलोरी का था जो साल १९९८ में घटकर २०१०...
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