डोमचांच (कोडरमा)। नीरू पहाड़ी से पांच किमी उत्तर ढोढाकोला रोड में कुबड़ी घाटी मोड़ से तीन किमी बायी ओर (पश्चिम) जाने वाली कच्ची सड़क जो घनघोर जंगलों को चीरकर सीधा समसिहरिया एवं हदहदवा में पत्थरों का अवैध उत्खनन धड़ल्ले से हो रहा है। रिजर्व फारेस्ट के अंतर्गत पड़ने वाले इन माइंस में विगत 8-10 वर्षो से उत्खनन का काम हो रहा है जिसमें प्रतिदिन दर्जनों शक्तिमान बोल्डर स्थानीय क्रशर मिलों को आपूर्ति की जा रही...
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वन विभाग का जंगल राज- आवेश तिवारी
पनारी गांव के परशुराम बैगा को 4 साल पहले तेज रफ़्तार ट्रक ने मार डाला था, अब उसके आठ साल के बेटे और पत्नी शांति को भूख मार रही है. पति के मरने के बाद जंगल विभाग ने जबरिया उसकी छोटी-सी जोत की जमीन पर बबूल के कांटे छिड़क उसे बंजर कर दिया. वहीं शांति के खिलाफ वन अधिनियम की धारा 5/16 के तहत जंगल की जमीन पर जबरिया कब्जे का...
More »जंगल से कटकर सूख गये मालधारी- शिरीष खरे
एशियाई शेरों के सुरक्षित घर कहे जाने वाले गिर अभयारण्य में बरसों पहले मालधारियों का भी घर था. ‘माल’ यानी संपति यानी पशुधन और ‘धारी’ का मतलब ‘संभालने वाले’. इस तरह पशुओं को संभाल कर, पाल कर मालधारी अपनी आजीविका चलाते थे. एक दिन पता चला कि अब इस इलाके में केवल शेर रहेंगे. फिर धीरे-धीरे मालधारियों को उनकी जड़ों से उखाड़कर फेंकने का सिलसिला शुरु हुआ. जंगल में मालधारी आज की...
More »हरी वादियों का चितेरा
अस्सी के दशक की शुरुआत से ही एक अकेले व्यक्ति के शांत प्रयासों ने ऐसे ग्रामीण आंदोलन की नींव रखी जिसने उत्तराखंड की बंजर पहाड़ियों को फिर से हराभरा कर दिया। सच्चिदानंद भारती की असाधारण उपलब्धियों को सामने लाने का प्रयास किया संजय दुबे ने। (तहलका-हिन्दी से साभार) शायद ही कुछ ऐसा हो जो संच्चिदानंद भारती को उफरें खाल के बाकी ग्रामीणों से अलग करता हो। ये तो जब वो...
More »पेड़ों पर चल रही आरी, रो रहा पंजाब
जालंधर। पंजाब में विकास और औद्योगिकीकरण के नाम पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और वृक्षारोपण की धीमी गति से वन क्षेत्र दिनों दिन घटता जा रहा है। राज्य के कुल भूभाग का 33 फीसदी क्षेत्र वनाच्छादित होना चाहिए लेकिन रकबा तकरीबन छह फीसदी ही है। हालांकि, राज्य सरकार ने वन क्षेत्र 33 फीसदी करने का दावा किया था लेकिन बाद में लक्ष्य को घटा कर 17 फीसदी कर दिया। अमृतसर जिले में महज 3 फीसदी...
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