इन दिनों सतपुड़ा के जंगलों के आदिवासी आंदोलित हैं। इसकी एक झलक होशंगाबाद में जब दिखाई दी तब आदिवासियों के जोशीले नारों से यहां की गलियां गूंज उठीं। दूरदराज के गांवों से सैकड़ों की तादाद में यहां आकर आदिवासियों ने जता दिया कि शेर पालने के नाम पर उनकी रोजी-रोटी पर लगाई जा रही रोक उन्हें मंजूर नहीं है। इसका पूरी ताकत से विरोेध किया जाएगा। इस जुलूस का फौरी असर...
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भूमि अधिग्रहण और आदिवासी
जनसत्ता 1 मई, 2013: आजकल भूमि अधिग्रहण विधेयक की चर्चा जोरों से चल रही है। वन अधिनियम पहले ही पास कराया जा चुका है। ये दोनों ही कदम आदिवासियों के जीवन को प्रभावित करने वाले हैं। जयराम रमेश का मंत्रालय बार-बार बदला जाना एक विडंबना ही है। जब-जब उन्होंने अपने मंत्रालय से कोई जन-भावन कदम उठा कर हस्तक्षेप करना चाहा, उनका मंत्रालय ही बदल दिया गया! चाहे वह वन या...
More »भूमि अधिग्रहण और स्त्रियां- मुस्कान
जनसत्ता 29 अप्रैल, 2013: भूमि अधिग्रहण (पुनर्वास और पुनर्स्थापन) विधेयक अब कानून बनने की दिशा में निर्णायक मोड़ पर आ चुका है। एक सौ सत्तासी संशोधनों के सुझावों के बाद अब अगर संसद में विधेयक पर मुहर लग जाती है तो एक तरफ जहां सरकार अपनी पीठ थपथपाएगी वहीं ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में जिनकी जमीनें अधिग्रहीत की जानी हैं, वे भी मुआवजा बढ़ने से शायद राहत महसूस करें। लेकिन...
More »पहले बीमार किया अब इलाज के लायक नहीं छोड़ा
अंबरीश कुमार, सोनभद्र। सोनभद्र में केंद्र सरकार का उपक्रम एनटीपीसी कांग्रेस को आम आदमी से दूर ले जा रहा है। एनटीपीसी अन्य बिजलीघरों के साथ पहले पर्यावरण को चौपट कर लोगों को बीमार बना रहा है और अब उसने स्वास्थ्य सेवा को इतना महंगा कर दिया है कि आम आदमी इलाज भी नहीं करा सकता। इसे लेकर इस अंचल में आंदोलन चल रहा है। एक फरवरी, 2013 से एनटीपीसी शक्ति नगर...
More »वनाधिकार कानून का सफेद और स्याह
वनाधिकार कानून की यात्रा साल 2006 के बाद से आज दिन तक किस मुकाम तक पहुंची है- इसका जायजा लेने के लिए देश भर से कुछ समूह दिल्ली में जुटे थे। वनाधिकार कानून को अक्सर ऐतिहासिक करार दिया जाता है क्योंकि इस कानून वनक्षेत्र और उसके आस-पास रहने वाले समुदायों और व्यक्तियों को भूस्वामित्व का हकदार बनाया, इस हकदारी को अवैध करार देने वाले सदियों पुराने चलन का खात्मा किया।...
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