वर्ष 1984 में हुए सिख-विरोधी नरसंहार के पीड़ितों और भुक्तभोगियों को न्याय दिलाने के लिए भारत सरकार कितनी गंभीर है? यह ऐसा प्रश्न है, जिसे जानने के लिए सभी भारतीयों को उत्सुक होना चाहिए, क्योंकि इससे यह बात स्पष्ट हो जायेगी कि इस देश में बड़े पैमाने पर होनेवाली हिंसा के मामले में पीड़ितों को कभी न्याय मिल पायेगा या नहीं. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद मचे...
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राजतंत्र से जनतंत्र तक-- संदीप मानुधने
जब अंगरेज भारत छोड़ कर गये, उन्होंने वे सभी प्रयास प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से किये, जिससे उपमहाद्वीप में सदा के लिए दरारें पड़ी रहें. अंगरेजों की दिली तमन्ना थी कि भारत टुकड़े-टुकड़े हो जायेगा, क्योंकि इसे एक करनेवाला कोई है ही नहीं. लेकिन, उनके मंसूबों पर भारत के नेताओं ने पानी फेर दिया. सरदार पटेल ने पूरे देश को एक सूत्र में बांध दिया, पंडित नेहरू ने एक लोकतांत्रिक...
More »झुलसी महिलाओं को नयी जिंदगी
एक बार आग से जल जाने या झुलस जाने के बाद अमूमन जिंदगी पहले जैसी नहीं रह जाती है. शरीर का अगला हिस्सा या चेहरा जल जाये तो आत्मविश्वास डोल जाता है. यह हादसा महिलाओं के साथ हो जाये तो होनेवाली पीड़ा की सिर्फ कल्पना ही डरा देनेवाली है. चेन्नई में एक रेस्टोरेंट ऐसा है, जो ऐसी पीड़िताओं को नौकरी दे कर उनमें आत्मविश्वास भरने का काम कर रहा है....
More »तलाश सत्ता और सच में भिड़ंत की- योगेन्द्र यादव
अब आप से क्या छुपाना। मैंने कल तक मेरिल स्ट्रीप का नाम नहीं सुना था। मैं नहीं जानता था कि मेरिल स्ट्रीप हॉलीवुड की कितनी प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं, उन्हें कितने अवार्ड मिल चुके हैं। मैं अंग्रेजी फिल्म ज्यादा नहीं देखता हूँ। अब कामचलाऊ अंग्रेजी लिख-बोल जरूर लेता हूँ। लेकिन दुःख-सुख,प्यार और रंज में अंग्रेजी साथ छोड़ देती है। इसलिए कविता, कहानी और फिल्म का रसस्वादन अमूमन हिंदी में या हिंदी...
More »लाखों की नौकरी छोड़ बच्चों का स्कूल खोला
मुजफ्फरपुर : आइआइएम, लखनऊ से पढ़ाई और इंफोसिस व जेडएस जैसी नामी कंपनियों में नौकरी, जिसमें हर माह वेतन के रूप में लाखों का पैकेज, लेकिन ये सब छोड़ मधुबनी की बेटी और मुजफ्फरपुर की बहू गरिमा विशाल ने बच्चों को पढ़ा कर समाज को बदलने का रास्ता चुना. उन्होंने डेजाऊ नाम से बच्चों का स्कूल खोला है, जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों पर विशेष जोर दिया...
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