किसानों की बढ़ी निराशा, भविष्य की सता रही चिंता मुजफ्फरपुर : बोचहां के बेल पटगछिया गांव के रामवचन ठाकुर की बेचैनी बढ़ गयी है. बड़ी आस से रामवचन ने चार बीघे में राजेंद्र-1 भगवती धान लगाया था. फ़सल ठीक हुई. धान के पेड़ की लंबाई भी अच्छी आयी. हरियाली भी खूब है. बाल भी बड़ी-बड़ी निकली, लेकिन उसमें दाना नहीं है. हरी बालियां अंदर दाना होने के कारण सूखने लगी हैं. ऐसा पहली बार...
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सरकार ने नहीं दी सुविधा, पसीने से सींचा
गोमो : चैता पंचायत के खेराबेड़ा गांव में किसानों ने पसीना बहा कर बंजर जमीन को उपजाऊ बना दिया है. खेतों में आज सब्जियां लगी है. इन्हीं सब्जियों बाघमारा तथा गोमो की सब्जी मंडियों में बेची जा रही है. किसान रूपक महतो ने बताया कि कैलाश महतो, अर्जुन महतो, फ़ागु महतो, जानकी महतो, किशुन महतो, गंगाधर महतो, वी महतो तथा नारायण महतो मिल कर 17 एकड़ भूमि पर 2001 से सब्जी...
More »गांव की दहलीज पर समस्याओं का समाधान
बड़ा भंगाल के लिए 13 सितंबर एक ऐतिहासिक दिन के रूप में अंकित होगा। जब कोई मुख्यमंत्री पहली बार इस क्षेत्र के लोगों की समस्याएं सुनने के लिए यहां पहुंचेंगे। प्रदेश के अस्तित्व में आने के करीब 40 वर्ष बाद इस गांव के लोगों को एक ऐसा मौका मिलेगा जब वह अपने गांव की दहलीज पर ही प्रदेश सरकार के मुखिया सहित पहुंचे कई मंत्रियों व अधिकारियों से रू-ब-रू होकर...
More »पत्रकारों के लिए इंक्लूसिव मीडिया फैलोशिप-2011
देश के ग्रामीण-संकट से संबंधित सूचना-विचार-विकल्पों के भंडारघर इंक्लूसिव मीडिया फॉर चेंज(www.im4change.org) की तरफ से साल 2011 की मीडिया फैलोशिप के लिए आवेदनपत्र आमंत्रित है।विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सीएसडीएस) की एक परियोजना इंक्लूसिव मीडिया फॉर चेंज की यह फैलोशिप हिन्दी और अंग्रेजी भाषा के पत्रकारों के लिए है। फैलोशिप के लिए चयनित अभ्यर्थी से अपेक्षा है कि वे दो से तीन हफ्ते ग्रामीण समुदाय के बीच बितायेंगे और जिन जमीनी मसलों को...
More »पौष्टिक है गोल्डन राइस
दुनिया में खाद्यान्न के बढ़ते संकट की चुनौतियों का उपाय तलाशने में जुटे रिसर्च संस्थानों में शामिल फिलीपींस स्थित इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी ईरी के उप महानिदेशक ऑपरेशंस डॉ. विलियम जी पैडोलिना से संजय मिश्र की बातचीत: -उत्पादन बढ़ने के बावजूद विश्व में खाद्यान्न एक बड़ी समस्या बन गया है। आखिर भविष्य में इसकी पर्याप्त उपलब्धता को लेकर गंभीर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं? यह सवाल उठना लाजिमी है,...
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