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बिहार, उप्र व छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की वजह से पिछड़ रहा है देश : अमिताभ कांत

नई दिल्ली। नीति आयोग के सीईओ का कहना है कि देश के दक्षिणी और पश्चिमी राज्य तो तेजी से विकास कर रहे हैं, लेकिन बिहार, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की वजह से देश पिछड़ रहा है। सोमवार को दिल्ली के जामिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में अब्दुल गफ्फार खान पर आयोजित पहले मेमोरियल लेक्चर पर उन्होंने यह बातें कहीं। उनका कहना है कि पूर्वी भारत के राज्य खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश,...

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साकार होता ग्राम-स्वराज का सपना - नरेंद्र सिंह तोमर

पंचायती राज के आधुनिक इतिहास में 24 अप्रैल 1993 को लागू हुआ 73वां संविधान संशोधन विधेयक मील का पत्थर है। इस विधेयक के पारित होने के लगभग दो दशकों तक यह कछुए की गति से चलता रहा। लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार के गठन के बाद इसमें तेजी आई। राजनीतिक इच्छाशक्ति एवं ईमानदार कोशिश की बदौलत परवान चढ़ी पंचायती राज प्रणाली के माध्यम से ग्राम स्तर पर मौन क्रांति का सूत्रपात...

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कम हो रही हैं श्रमबल में महिलाएं-- अजीत रानाडे

भारत की श्रमबल भागीदारी दर (एलएफपीआर) में महिलाओं का हिस्सा पिछले तेरह वर्षों के दौरान तेजी से गिरा है. यह कामकाजी उम्र की महिलाओं की कुल संख्या की तुलना में वैसी महिलाओं का अनुपात है, जो पारिश्रमिक पाते हुए रोजगार कर रही हैं. इस अनुपात में आयी गिरावट दरअसल एक अरसे के दौरान आयी है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, 15 वर्ष से 24 वर्ष की महिलाओं...

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व्यवस्था को सुदृढ़ करने की जरूरत-- विराग गुप्ता

कुछ महीने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में पाॅक्सो मामलों में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि मौत की सजा से अपराधों का समाधान नहीं हो सकता है. उन्नाव और कठुआ रेप मामलों में देशव्यापी राजनीतिक असंतोष को भांपकर सरकार ने यू-टर्न लेते हुए 12 साल तक की बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को फांसी की सजा के लिए अध्यादेश जारी कर दिया. राष्ट्रपति की मंजूरी के...

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कैसे आया दिल्ली के सरकारी स्कूलों में इतना बड़ा बदलाव?-- प्रीति प्रसाद

साल 2014 के जनवरी महीने की बात है. तब आह्वान ट्रस्ट ने उत्तर दिल्ली के पांच सर्वोदय विद्यालयों में काम करना शुरु किया. मकसद था प्री-प्राइमरी और प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों को इस किस्म से मदद पहुंचाना कि वे स्कूल के बच्चों के लिए सबसे बेहतर मार्गदर्शक साबित हों. हम जिन जीवन-मूल्यों को भावी पीढ़ी में देखना चाहते हैं, उन मूल्यों का साकार रूप बनकर इन शिक्षकों को दिखाना था....

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