मित्रो, सत्येंद्रनाथ दुबे और बिहार-झारखंड के नौ आरटीआइ एक्टिविस्टों की शहादत का सटीक नतीजा सामने आने वाला है. भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के लिए आरटीआइ एक्टिविस्ट के बाद अब ह्विसिल ब्लोअरों की टीम तैयार होने वाली है. इसमें सरकारी और गैर सरकार दोनों लोग होंगे. ह्विसिल ब्लोअर प्रोटेक्शन बिल को संसद की मंजूरी मिलने के बाद अब राष्ट्रपति की भी स्वीकृति मिल गयी है. यह सिविल सोसाइटी के लिए सरकारी तंत्र में...
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झारखंड-बिहार में सबसे ज्यादा भूखे
रांची: भोजन के अधिकार अभियान की दो दिवसीय पूर्वी क्षेत्रीय बैठक सोमवार को हुई़ बैठक में अर्थशास्त्री प्रोफेसर ज्यां द्रेज ने कहा कि झारखंड के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून सबसे जरूरी है़ झारखंड और बिहार में सबसे ज्यादा भूखे हैं. झारखंड सरकार ने इस कानून को लागू करने के प्रति रूची नहीं दिखायी है़. यूआइडी के लिए जिस तरह से सरकार ने कोशिश की थी, उस तरह की कोशिश इस...
More »जातीय विद्वेष की जड़ें- विनोद कुमार
जनसत्ता 16 मई, 2014 : असम की जातीय हिंसा पर कोई सार्थक बातचीत या चर्चा शुरूकरने का खतरा यह है कि कहीं आप अल्पसंख्यक विरोधी करार न दे दिए जाएं। वह भी उस वक्त जब असम में जातीय हिंसा में लोगों के मरने का सिलसिला साल दर साल बढ़ता गया है। ताजा हिंसा इत्तिफाक से मोदी के उस दौरे के तुरंत बाद शुरूहुई, जिसमें उन्होंने घुसपैठियों को देश से निकाल...
More »राजनीतिक विमर्श और जन-स्वास्थ्य- नीकी नैनसी
जनसत्ता 9 मई, 2014 : सोलहवीं लोकसभा के चुनाव अपने आखिरी चरण में हैं, लेकिन अभी तक किसी पार्टी ने सामाजिक विकास को लेकर कोई ठोस बहस या तथ्य पर आधारित चर्चा करने की जरूरत नहीं समझी है। किसी भी पार्टी का घोषणापत्र उठा लें, एक बात पर सभी अपना दावा करते नजर आएंगे- आर्थिक और समेकित विकास। इन भारी-भरकम शब्दों के इस्तेमाल में आपको कोई कटौती नहीं मिलेगी, चाहे...
More »भोजन की गारंटी, पर एक बार भी नहीं मिला राशन
पटना: पहली फरवरी से लागू राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ सभी चयनित परिवारों को नहीं मिल रहा है. योजना लागू होने के तीन माह बीत गये, लेकिन अधिकतर परिवारों को एक बार भी राशन नहीं मिला है. अप्रैल में अनाज आवंटित तो हुआ, लेकिन कार्ड नहीं होने से राशन मिलने में परेशानी हुई. बाद में जिला प्रशासन ने सूची के आधार पर राशन बांटने का निर्देश दिया. सूची के आधार...
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