वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से घरेलू स्तर पर मुद्रास्फीति (महंगाई) बढ़ने का जोखिम बना हुआ है। इससे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई ) वित्त वर्ष 2018-19 की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक में ब्याज दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रख सकता है। ऐसे में कर्ज की मासिक किश्त (ईएमआई) घटने की उम्मीद लगाए उपभोक्ता और उद्योग जगत को निराश होना पड़ सकता है। दिग्गज...
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हर वर्ष लाखों क्विंटल बीज का भंडारण, लेकिन मांग के अनुरूप वितरण नहीं
रायपुर। छत्तीसगढ़ बीज एवं कृषि विकास निगम प्रदेशभर में किसानों को बीज का वितरण करता है। इसके लिए प्रदेश के 27 जिलों में कुछ 1344 सोसाइटी बनाई गई हैं, जहां मांग के अनुसार खरीफ और रबी फसल के बीजों का भंडारण किया जाता है। 2017-18 में हुए बीज वितररण को देखें तो कई बीजों का वितरण मांग के अनुरूप नहीं हो सका। खरीफ फसल के बीजों की मांग और वितरण में...
More »यूपी, बिहार और झारखंड समेत नौ राज्यों के लिए नहीं बढ़ी मनरेगा की मजदूरी
काम ज्यादा- पैसा कम-- शायद, नये वित्तवर्ष में मनरेगा के मजदूरों के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय का संदेश यही है.अगर बात अटपटी लगे तो इस तथ्य पर विचार कीजिए : पिछले साल के आखिर में खेती-बाड़ी के काम में मनरेगा के फायदे गिनाते हुए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कहा वित्तवर्ष 2017-18 में कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों पर अबतक मनरेगा की 71 फीसद राशि खर्च हुई है लेकिन नये वित्तवर्ष में...
More »जल संकट के लिए तैयार रहें-- आशुतोष चतुर्वेदी
र्मी शुरू हो गयी है. हम सब जानते हैं कि हर साल की तरह हमारे गांव, कस्बे और शहर पानी की कमी से जूझेंगे. लेकिन, इस विषय में हम तभी सोचते हैं, जब समस्या हमारे सिर पर आ खड़ी होती है. न तो सरकारों की ओर से कोई ठोस पहल होती है और न ही समाज की ओर से कोई अभियान छेड़ा जाता है. समस्या केवल कम बारिश की नहीं...
More »संघवाद पर लगी ताजा चोट--डॉ टीएम थॉमस इसाक
राजव्यवस्था का एक सामान्य सिद्धांत है कि वित्तीय संसाधनों का सबसे सही आवंटन सरकार का वह स्तर करता है, जो लाभुकों से सर्वाधिक निकटस्थ होता है, जबकि संसाधनों के बेहतरीन संग्रहण की अपेक्षा सरकार के उस स्तर से की जाती है, जो करदाताओं से सर्वाधिक सुदूर स्थित है. इसलिए सभी सहयोगात्मक संघीय व्यवस्थाओं में कराधान की शक्ति सामान्यतः केंद्र सरकार के पास केंद्रित रहती है, जबकि व्यय का भार...
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