उन्होंने हाई स्कूल तक की तालीम भी हासिल नहीं की, फिर भी वर्षों तक वह कई पीएचडी करने वालों के गाइड रहे। आज वह दादा बन चुके हैं, मगर उनमें अब भी गजब की ऊर्जा है। वह एक इतिहासकार, कातिब, लेखक, फोटोग्राफर, पर्यटक, गाइड व बुनकर रह चुके हैं; और इन दिनों डिजिटल सेल्समैन, सोशल मीडिया पेशेवर और वेबसाइट मैनेजर की भूमिका में सक्रिय हैं। मुजफ्फर अंसारी उर्फ कल्ले भाई...
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SC करेगा फैसला, गंभीर आपराधिक मामलों के आरोपी चुनाव लड़ेंगे या नहीं!
गंभीर आपराधिक मामलों में आरोपी लोगों को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करने से संबंधित दायर की गई एक पिटीशन पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। कोर्ट ने 5 जजों की स्पेशल बेंच बनाई है जो अब इस मामले में आगे की सुनवाई करेगी। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस याचिका को गंभीरता से लिया है और 5 राज्यों में इलेक्शन को देखते...
More »दिल्ली में प्लेसमेंट एजेंसी के नाम पर लाई गईं 200 लड़कियां लापता-- हेमंत कुमार पांडेय
दिल्ली में प्लेसमेंट एजेंसियों के नाम लाई गईं 200 लड़कियां लापता हैं। यहां बिना लाइसेंस की 12 एजेंसियां प्लेसमेंट के बहाने 16 साल से मानव तस्करी के धंधे में लगी हैं। ये लड़कियां बिहार, झारखंड, ओडिशा जैसे राज्यों से बहला-फुसलाकर लाई गईं थीं। इनका नेटवर्क असम, प. बंगाल में भी फैला हुआ है। पिछले माह इसका खुलासा होने के बाद से पुलिस जांच में जुटी है। दलालों के जरिए इन लड़कियों...
More »राजद्रोह कानून की समीक्षा कर रहा है विधि आयोग
नई दिल्ली (माला दीक्षित)। एक तरफ राज्य की सुरक्षा और सम्मान तथा दूसरी ओर दुरुपयोग की आशंकाओं के बीच उलझे राजद्रोह कानून की समीक्षा हो रही है। विधि आयोग भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 124ए में दिये गये राजद्रोह कानून की समीक्षा कर रहा है। आयोग इसके प्रभाव, दायरे और उद्देश्य, के साथ दुरुपयोग के पहलुओं को भी परखेगा। हालांकि राजद्रोह कानून पर आयोग की अलग से रिपोर्ट आने की...
More »भ्रष्टाचार से लाचार लोकतंत्र!-- चंदन श्रीवास्तव
भ्रष्टाचार की बातें तो बहुत हैं, लेकिन शिकायतें बड़ी ही कम हैं! अब इस उलटबांसी की व्याख्या कैसे हो? क्या हम यह मान लें कि चलो फिर से इस नियम की पुष्टी हुई कि भारत विरोधाभासों का देश है? सार्वजनिक जीवन में नजर आनेवाला विरोधाभास दोहरा अर्थ-संकेत होता है. उसका एक इंगित है कि हमारा तंत्र पाखंड से भरा है और दूसरा इंगित कि अन्याय आठो पहर आंखों...
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