रांची : झारखंड काजू के वृक्षारोपण में देश में टॉप टेन में पहुंच गया है. पहले राज्य का कहीं कोई स्थान नहीं था. राज्य गठन के बाद करीब 13 हजार हेक्टेयर में काजू की खेती करायी जा रही है. तीन साल के अंदर इससे तैयार काजू भी निकलने लगेगा. इससे आज करीब सात हजार किसान जुड़े हुए हैं. सभी किसान अपनी वर्षो से परती पड़ी जमीन पर खेती कर रहे हैं....
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नक्सल प्रभावित राज्यों में जनता को अधिकार सौंपने और धारणा बदलने की नयी पहल
नयी दिल्ली, पांच जनवरी (एजेंसी) नक्सल प्रभावित नौ राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ केन्रदीय गृहमंत्री पी चिंदबरम अगले महीने बैठक कर ताजा हालात की समीक्षा करेंगे। माओवादियों से निपटने की मौजूदा नीति में दो नयी बातें जोडने के बारे में इस बैठक में चर्चा हो सकती है जो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जनता को अधिकार विशेषकर वन अधिकार सौंपना और मीडिया के जरिए उनकी धारणा बदलना है । सरकारी सूत्रों ने बताया कि...
More »खाद्य सुरक्षा की खातिर - सुभाष वर्मा
जनसत्ता 5 जनवरी, 2012: पूरी दुनिया में एक सौ पचीस करोड़ से अधिक लोग भूख से त्रस्त हैं, जिनमें से एक तिहाई लोग भारत के गरीब हैं। नवीनतम वैश्विक भूख सूचकांक में भारत का स्थान बहुत नीचे, इक्यासी देशों के बीच सड़सठवां है। इसलिए यह स्वागत-योग्य है कि भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा की गारंटी देने वाला विधेयक संसद में पेश किया है। इस विधेयक में ग्रामीण इलाकों की पचहत्तर फीसद और...
More »चीनी उत्पादन में अव्वल होगा बिहार
पटना : चीनी उत्पादन में बिहार फिर शीर्ष पर होगा. राज्य सरकार की पहल व किसानों के हौसले से यह उम्मीद जगी है. 1950-60 के दशक में देश में कुल खपत का 60 फीसदी चीनी का उत्पादन यहीं होता था. आज हम अपनी जरूरत को भी पूरा नहीं कर पाते. राज्य में सालाना आठ लाख टन चीनी की खपत है, जबकि उत्पादन चार लाख टन ही है. लेकिन, अब स्थिति बदलने लगी...
More »पीड़ा के जंगल में आदिवासी- अनिल चमड़िया
जनसत्ता 24 दिसंबर, 2011 : आजादी के बाद आदिवासी ने क्या हासिल किया, इस विषय पर राजस्थान के बूंदी में दो दिन की चर्चा थी। इस अवसर पर किसी वक्ता ने यह नहीं कहा कि अंग्रेजों के जाने के बाद आदिवासियों की जीवन-दशा में किसी किस्म का बुनियादी बदलाव आया है। फिर आदिवासियों की उम्मीद और इस व्यवस्था के प्रति भरोसे को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में...
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