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लगातार बढ़ रही हैं जंगलों में आग की घटनाएं!

जंगलों में लगने वाली आग केवल संयुक्त राज्य अमेरिका (कैलिफ़ोर्निया, 2020), ब्राज़ील (अमेज़ॅन वन, 2019-2020) या ऑस्ट्रेलिया (2019-20) जैसे देशों तक ही सीमित नहीं है. हर साल भारत के कई राज्यों के जंगल भी आग की चपेट में आते हैं. मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि हाल के महीनों में उड़ीसा के सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश सहित अन्य राज्यों में जंगल में आग लगी है. इस...

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स्कैनिया बस विवाद : नितिन गडकरी के प्लॉट में खड़ी थी बस, फिर क्यों कहते हैं कि कोई लेना-देना नहीं

-द कारवां, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी पर हाल में अवैध रूप से जमीन हासिल करने और बड़ा कर्ज लेने के लिए उसे गिरवी रखने का आरोप लगा है. 10 मार्च 2021 को स्वीडन के समाचार चैनल एसवीटी ने खबर दी कि स्वीडन की कमर्शियल-व्हीकल्स (वाणिज्यिक वाहन) निर्माण कंपनी स्कैनिया ने दिसंबर 2016 में गडकरी की बेटी की शादी में "गहरे लाल रंग की चमड़े की सीट वाली" एक लक्जरी...

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उत्तर प्रदेश: आज़मगढ़ में फोटो पत्रकार का कार्यालय प्रशासन ने अतिक्रमण के नाम पर ढहाया

-द वायर,  उत्तर प्रदेश में आजमगढ़ शहर के वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार दत्ता का कार्यालय जिला प्रशासन ने 24 मार्च की शाम को ढहा दिया. प्रशासन का कहना था कि यह कार्यालय सड़क की जमीन पर अवैध अतिक्रमण था, इसकी वजह से जाम की समस्या हो रही थी, जबकि इस जमीन को दो दशक पहले नगर पालिका परिषद ने दत्ता को आवंटित कर उनसे किराया ले रही थी. एसडीएम सदर गौरव कुमार...

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एक शताब्दी पहले के मुजारा आंदोलन में अपनी जड़े तलाशता मौजूदा किसान आंदोलन

-कारवां, “मुजारों ने बिस्वेदरी प्रणाली के खिलाफ लड़ाई लड़ी. मौजूदा आंदोलन कारपोरेट पूंजीवाद के खिलाफ है,'' पंजाब के मनसा जिले के बीर खुर्द के किसान किरपाल सिंह बीर ने मुझे बताया. 1920 के दशक में जब पंजाब का बंटवारा नहीं हुआ था, पट्टेदार किसानों ने राजाओं, जमींदारों और ब्रिटिश अधिकारियों से भूमि स्वामित्व अधिकार के लिए आंदोलन किया था. उस आंदोलन को मुजारा आंदोलन के नाम से जाना जाता था. किरपाल...

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: क़ाफ़िला ये चल पड़ा है, अब न रुकने पाएगा...

-न्यूजक्लिक, तू बोलेगी, मुंह खोलेगी तब ही ये ज़माना बदलेगा... ये सच है कि महिलाओं ने बोलना शुरू किया तो ज़माना बदलने लगा। पितृसत्ता की ज़ंग खाई बीमार सोच की तबीयत में रवानी आने लगी। जिसे एक पीढ़ी नामुमकिन मानती रही उसे दूसरी पीढ़ी ने सिरे से खारिज कर दिया। ये सदी औरत की सदी है। जो देश में नई इबारत गढ़ रही है। औरतों के संघर्ष का इतिहास बहुत लम्बा...

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