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सतही शिक्षा व्‍यवस्‍था और श‍िक्षकों की कमी: देश में बढ़ते कोचिंग कल्चर की असल वजह?

इंडियास्पेंड, 27 जनवरी शीतलहर के चलते उत्तर भारत के स्कूलों की समय सारणी में बदलाव किए गए हैं। लेक‍िन 12 वर्षीय आयुष यादव कड़ाके की ठण्ड में सुबह लगभग 8 बजे काले रंग का बैग कंधे पर टांगे मम्मी-पापा को बाय बोल ई-रिक्शॉ पर बैठ कोचिंग क्लास के लिए निकल जाते हैं, फ‍िर वहां से सीधे स्‍कूल। प्राइवेट कंपनी में मार्केटिंग का काम करने वाले आयुष के पिता शिव शंकर यादव, 36, कहते...

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ये कैसी आजादी और कैसा महोत्सव? जहां शिक्षा है न ही मूलभूत सुविधाएं

जनचौक, 24 अगस्त अगर हम आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के आलोक में “हर घर तिरंगा” अभियान से फायदे की बात करें, तो मीडिया से आने वाली खबरें बताती हैं कि केन्द्र सरकार को 500 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का लाभ हुआ है। 30 करोड़ से भी ज्यादा राष्ट्रीय झंडा तिरंगा की बिक्री हुई है। वहीं जब हमने झारखंड में ‘हर घर तिरंगा’ के तहत बांटे जा रहे झंडा के बाबत...

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आईएमडी की नई रिपोर्ट: 2021 में भीषण मौसम की वजह से 1,750 भारतीयों की मौत

इस साल जनवरी के महीने में दिल्ली-एनसीआर में शीतलहर जैसी स्थिति के कारण 100 से अधिक बेघर लोगों की मौत हो गई (कृपया यहां और यहां देखें). हालांकि दिल्ली स्थित एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट (सीएचडी) ने यह दावा किया, और इसलिए दिल्ली के मुख्यमंत्री को सर्दियों के दौरान बेघर गरीबों के लिए उचित व्यवस्था करने के लिए कहा. हालांकि, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार के अधिकारी बोर्ड...

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म्यांमार में सैन्य कू के बाद बच कर मिजोरम आए शरणार्थियों के बिगड़ रहे हालात

-कारवां, फरवरी 2021 में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट होने के बाद भारत आने वाले शरणार्थियों में से एक 57 वर्षीय न्गुंचन ने मुझे बताया कि “गांव में गोलीबारी चल रही थी और गोलियां खिड़की से होकर गुजर रही थीं. हम सोफे के नीचे छिप गए. जब थोड़ी शांति हुई तो हम भूखे पेट जंगल की ओर भागे. हम बहुत डरे हुए थे. मेरे पति नहीं रहे. मैं और मेरी बेटी इस बात...

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ग्राउंड रिपोर्ट: क्यों नहीं है ट्रांसजेंडर के लिए हेल्पलाइन नंबर?

-न्यूजलॉन्ड्री, किसी ट्रांसजेंडर को सड़क पर देखकर हम गाड़ी के शीशे चढ़ा लेते हैं. उन्हें भद्दी गालियां देते हैं. उनके अलग दिखने की वजह से हम उनका तिरस्कार करते हैं. ये लोग हमेशा से हमारे समाज का हिस्सा रहे हैं लेकिन दबे, सहमे, छुपे और घबराए हुए. ना पुलिस और ना कोई सरकारी तंत्र है जो ट्रांसजेंडरों के साथ होने वाले अन्याय के खिलाफ इनकी मदद कर सके. वहीं मेट्रो, बस...

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