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‘उच्च शिक्षा पर हमला करने का मकसद सरकारों से सवाल पूछने वालों को ख़त्म करना है’

मानवाधिकारों से जुड़े पीपुल्स कमीशन ऑन श्रिंकिंग डेमोक्रेटिक स्पेस (पीसीएसडीएस) नाम के एक समूह ने देश में शिक्षा व्यवस्था और शैक्षणिक संस्थानों पर हो रहे कथित हमलों की सच्चाई जानने के लिए अप्रैल 2018 में एक समिति (जूरी) का गठन किया गया था. इस समिति में सेवानिवृत्त जस्टिस होसबेट सुरेश और जस्टिस बीजी. कोल्से पाटिल, प्रोफेसर उमा चक्रवर्ती, अमित भादुड़ी, टीके. ओमन, वासंती देवी, घनश्याम शाह, मेहर इंजीनियर और कल्पना कन्नाबीरान...

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भविष्य के शिक्षक, शिक्षकों का भविष्य-- हरिवंश चतुर्वेदी

आज के दिन देश के लाखों स्थानों पर स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षक दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन क्या डॉ राधाकृष्णन की कल्पना के अनुरूप आज भी समाज में शिक्षक और शिक्षा के पेशे को हम वह सम्मान दे पाए हैं, जो उन्हें मिलना चाहिए? हम इंजीनियरों, डॉक्टरों, चार्टर्ड अकाउंटेंट, आईएएस, आईपीएस, नेताओं, उद्योगपतियों, साधु-संतों और फिल्मी अभिनेताओं से मिलकर जितना गद्गद् होते हैं और सेल्फी लेने...

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छह राज्यों की साठ फीसद किशोरियों ने कहा- हां, बाहर जाने में लगता है डर..!

क्या आप मानते हैं कि ‘भारत महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक' देश है जैसा कि एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था ने हाल में जनमत सर्वेक्षण के आधार पर कहा था ? या आपको लगता है कि ऐसा कहना किसी ‘देश को बदनाम' करने की कोशिश है, जैसा कि भारत सरकार ने कहा ?   अपना जवाब तय करने से पहले खूब गौर से सोचिए क्योंकि एक नई रिपोर्ट आयी है, इस बार देश के भीतर से ही आयी है और...

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अंतहीन अत्याचार का वह काला दौर - ए. सूर्यप्रकाश

जून का महीना झुलसाती गर्मी के साथ इतिहास की कुछ दर्दनाक यादों को भी दोहराता है। 1975 में 25 जून को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश पर निरंकुश आपातकाल थोपा था। इसके साथ ही जीवंत लोकतंत्र पर तानाशाही हावी हो गई थी। इस तानाशाही ने न केवल नागरिकों के मूल अधिकार निलंबित किए, बल्कि उन्हें जीवन के अधिकार से भी वंचित किया। यदि हम अपने लोकतांत्रिक जीवन को सुरक्षित रखना...

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नियमित हों कॉलेज शिक्षक- आर के सिन्हा

अब देशभर के कॉलेजों में नये सत्र के लिए विद्यार्थियों के दाखिले की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है. प्रमुख विश्वविद्यालयों के नामी कॉलेजों में दाखिला लेने के लिए जबरदस्त मारामारी है. नब्बे फीसदी से अधिक अंक लानेवाले छात्र-छात्राओं को भी यकीन नहीं हो रहा है कि उन्हें उनकी पसंद के कॉलेज और विषय में दाखिला मिल ही जायेगा. यह तस्वीर का एक पक्ष है. दूसरा पक्ष भयावह है. उसे जानकर...

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