आर्थिक फैसले पूरी स्फूर्ति से लिए जा रहे हैं। भले ही अभी हम नोटबंदी और जीएसटी की बहस में उलझे हुए हों, मगर हाल ही में सरकार ने अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिए कई आर्थिक उपायों की घोषणा की है। ये कई लक्ष्यों को हासिल करने के इरादे सेप्रेरित हैं। एक कहावत है कि बुराई को मजबूती तब मिलती है, जब हम कोई फैसला नहीं कर पाते या दूसरों...
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कृषि को लाभकारी बनाना अपरिहार्य-- विवेक त्रिपाठी
भारत में किसान को अन्नदाता की उपाधि दी गई। पर आज वह निराश नजर आ रहा है। कृषि उपज का वाजिब मूल्य न मिलने से वह परेशान है। किसान को कर्ज लेना पड़ रहा है। वही उसके लिए जानलेवा साबित होता जा रहा है। किसानों की आत्महत्याओं में दिन-प्रतिदिन इजाफा हो रहा है। भारत में किसान आत्महत्या 1990 के बाद पैदा हुई स्थिति है, जिसमें प्रतिवर्ष दस हजार से...
More »किस हद तक माफ हों कर्ज-- आर. सुकुमार
भारत में इस मानसून की यदि कोई थीम है, तो मेरी राय में वह ‘कर्ज' है। तीन मामले आपके सामने रख रहा हूं। पहला, रिजर्व बैंक अपनी नई ताकतों से परिचय करा रहा है। नई बैंकरप्सी कोड के तहत उसने 12 बड़ी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की है। इन कंपनियों पर हमारे बैंकिंग सिस्टम के कुल एनपीए यानी डूबे हुए कर्ज का लगभग एक चौथाई हिस्सा बकाया है। यह रकम...
More »कांग्रेस सरकार ने कर्नाटक में भी किया किसानों का कर्ज माफ
नयी दिल्लीः गुजरात में भारतीय जनता पार्टी का विजय रथ रोकने और कर्नाटक में किसानों की कर्जमाफी को मुद्दा बनने से रोकने के लिए कांग्रेस ने तुरुप का पत्ता फेंक दिया है. पंजाब के बाद कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने भी किसानों की कर्जमाफी का एलान कर दिया है. इसे प्रदेश में समय से पहले चुनाव कराये जाने के एक प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है. इससे पहले...
More »गलती बैंकरों की नहीं, सिस्टम की है-- आर सुकुमार
भारतीय बैंकर इन दिनों खुश नहीं हैं। खासतौर पर वे, जो इस उद्योग में दबदबा रखने वाले राष्ट्रीयकृत बैंकों में काम करते हैं। बीते आठ नवंबर के बाद से, जब से प्रधानमंत्री ने पुराने बड़े नोटों को चलन से बाहर करके उसकी जगह नए नोट लाने की घोषणा की है, बैंकरों पर काम का बोझ बढ़ गया है। कभी-कभी तो उन्होंने सप्ताहांत में भी काम किया। उनका पाला न सिर्फ...
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