-डाउन टू अर्थ, जनवरी में गन्ने की कटाई के समय भरी दोपहरी में गन्ना खेत मजदूर वंदना खंडाले अपने घर पर खाली बैठी हुई है। पूछने पर कहती है कि उसके घुटनों में भयानक दर्द हो रहा है और हमेशा थकान रहती है। खेत में काम करते हुए थक जाती है और इतनी झुंझलाहट होती है कि काम करना मुश्किल हो गया है। वंदना अभी 30 वर्ष से कम उम्र की है,...
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खेतों में खड़े गन्ने की कटाई के इंतजार में किसान
मुज्फ्फरपुर के हिराली गांव के किसान सुरेश चौधरी बताते हैं, हमने 12 बीघे में इस बार गन्ना लगाया है. फसल पूरी तरह तैयार है. एक महीने पहले ही हमने चीनी मिल से गन्ना बेचने के लिए पर्ची की अर्जी लगाई. लेकिन अब तक पर्ची नहीं मिली. शामली, मुजफ्फनगर की हरेक मिल में कोशिश कर चुके हैं. लेकिन अब तक पर्ची नहीं मिली. इस बीच में गन्ना खेतों में गिरने से...
More »वायु प्रदूषण को रोकने के लिए फसल चक्र बदलने की जरूरत
हाल के समय में उत्तर भारत और विशेषकर दिल्ली एनसीआर वायु प्रदूषण की चपेट में है। अक्टूबर-नवंबर में हवा की गुणवत्ता न्यूनतम स्तर तक पहुंच गई है। मीडिया रिपोर्टों में इसका बड़ा कारण पराली ( धान फसल के ठंडल) जलाना बताया गया है, और इससे दिल्ली और आसपास के लोगों के स्वास्थ्य पर खासा प्रभाव पड़ रहा है। सिस्टम आफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फारकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR-India) की वेबसाइट...
More »चंपारण से निकला रास्ता- राजू पांडेय
चंपारण सत्याग्रह नील की खेती करने वाले किसानों के अधिकारों के लिए संगठित संघर्ष के रूप में विख्यात है। इसके एक सदी बाद भी देश का किसान बदहाल है। 2010-11 के आंकड़ों के अनुसार, देश के 67.04 प्रतिशत किसान परिवार सीमांत हैं जबकि 17.93 प्रतिशत कृषक परिवार लघु की श्रेणी में आते हैं। सरकार ने संसद को राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण द्वारा जुलाई 2012 से जून 2013 के संदर्भ में संकलित...
More »अपनी जड़ों को खोजते वे भारतवंशी- बद्री नारायण
हिंदी पट्टी ने ब्रिटिश उपनिवेश काल में अनेक मुसीबतें झेलीं। इनकी दो मुसीबतें अत्यंत महत्वपूर्ण रही हैं, जिन्होंने मिलकर हिंदी क्षेत्र का वर्तमान रचा है। एक तो 1857 का विद्रोह, दूसरा गिरमिटिया विस्थापन, जिसे प्रवास, उत्प्रवास कुछ भी कहा जा सकता है। भोजपुरी के प्रसिद्ध नाटककार भिखारी ठाकुर ने इसे बिदेसिया हो जाना भी कहा है। 19वीं सदी में दास प्रथा की समाप्ति के बाद दुनिया में आक्रामक रूप से...
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