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मनरेगा पर संकट के बादल

हाल ही में पेश किए गए बजट के बाद पक्ष-विपक्ष की अतिवादी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। इन बयानबाजियों में सबसे ज्यादा ध्यान मनरेगा ने खींचा है। बजट में मनरेगा के लिए आवंटित बजट, 2022-23 के संशोधित अनुमान की तुलना में काफी कम है। यह कमी करीब 33 प्रतिशत के आस–पास ठहरती है। सरकार के पास इस कटौती को जायज ठहराने के अपने तर्क हैं और विपक्ष व सामाजिक संगठनों की अपनी...

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जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए किसानों को सतत मूल्‍य श्रृंखलाओं की जरूरत

डाउन टू अर्थ, 23 जनवरी स्‍थानीय स्‍तर पर किया गया पारितान्त्रिक बहाली कार्य अनुकूलन को सम्‍भव बनाने और जलवायु के प्रति लोगों की सहनशीलता को बढ़ाने के लिए महत्‍वपूर्ण है, जो कि हाल ही में जलवायु परिवर्तन पर यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्‍वेंशन द्वारा आयोजित 27वीं कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी27) के दौरान विचार-विमर्श का एक प्रमुख केन्‍द्र भी रहा। जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव, फसल का घटता रकबा, जैव-विविधता को नुकसान, अपर्याप्‍त भोजन...

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सरकार के इस नायाब तरीके से गरीबी मुक्त भारत जल्द

डाउन टू अर्थ, 10 जनवरी खिरकार इस साल भारत के पास गरीबी का अपना आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध होगा। दरअसल, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) वर्तमान में उपभोग व्यय नमूना सर्वेक्षण कर रहा है, जिसका उपयोग गरीबी के स्तर को मापने के लिए किया जाता है। सर्वेक्षण इस साल जुलाई तक जारी रहेगा और इसके प्रारंभिक परिणाम साल के अंत तक आने की संभावना है।   दिल्ली में सत्ता के गलियारों में अधिकारियों के...

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भारत के सबसे पिछड़े जिले से तीन महिलाओं की भूख और उससे जुड़े संघर्ष की कहानी

इंडियास्पेंड, 02 दिसंबर नवम्बर महीने के दूसरे सप्ताह के बुधवार को रेखा देवी, उम्र लगभग 40 वर्ष, अपने घर से तकरीबन 500 मीटर दूर एक खेत में कम्पैन मशीन के पीछे अपने बच्चों के साथ धान की बालियां बीन रही थीं। पूछने पर वह कहती है की इन गिरी हुई बालियों से उनके परिवार का गुजारा होता है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से तकरीबन 170 किलोमीटर पूरब में भारत और नेपाल...

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क्या है जो भारत में तैयार कर रहा है गरीब

डाउन टू अर्थ, 19 अक्टूबर  संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (ओपीएचडीआई) द्वारा जारी नवीनतम वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) 2022 के मुताबिक भारत ने 2005-06 और 2019-21 के बीच बहुआयामी गरीबी से करीब 41.5 करोड़ लोगों का उत्थान किया है। देखा जाए तो यह एक ऐतिहासिक बदलाव है। यदि इस सूचकांक, एमपीआई 2022 की बात करें तो यह आय संबंधी गरीबी के साथ-साथ तीन अन्य...

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