बच्चों का पोषण, स्वास्थ्य और उनका भविष्य मां के पेट में निर्धारित होता है. अगर मां कुपोषित और बीमार होगी, तो बच्चे भी पीड़ित होंगे. गर्भावस्था के दौरान पोषण, दवा और आराम सब समय पर मिले, यह न केवल महिलाओं के हित की बात है, बल्कि बच्चों के अधिकार और देश के विकास की बात भी है. वास्तविकता यह है कि गर्भावस्था और प्रसव भारत की गरीब महिलाओं के लिए...
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गरीबी में गिरावट संतोषजनक--- अजीत रानाडे
अंतरराष्ट्रीय रूप से सुप्रसिद्ध ब्रूकिंग्स संस्थान की एक रिपोर्ट यह बताती है कि भारत में गरीबी में नाटकीय गिरावट आयी है. मई 2018 के आकड़े लिये जाएं, तो भारत में घोर दरिद्रता की स्थिति में रहनेवालों की संख्या 7.30 करोड़ है, जबकि नाइजीरिया में ऐसे लोगों की तादाद 8.70 करोड़ है. ऐसा पहली बार हुआ है कि अपनी जनसांख्यिक विशालता के बावजूद भारत में अत्यंत निर्धनों की संख्या विश्व में...
More »आयुष्मान भारत : सतर्कता जरूरी
वर्ष 2018-19 के वित्त वर्ष के लिए बजट में जब वित्तमंत्री ने यह घोषणा की कि 10 करोड़ परिवारों यानी 50 करोड़ लोगों के स्वास्थ्य पर आनेवाले खर्च के लिए पांच लाख रुपये तक के खर्च को सरकार वहन करेगी, तो यह एक सपने जैसा प्रतीत हुआ था. बजट भाषण में वित्तमंत्री ने ‘आयुष्मान भारत' योजना का जिक्र किया था, जिसके अंतर्गत दो प्रकार की स्वास्थ्य योजनाओं की घोषणा हुई...
More »बेबस मरीज और लूट का इलाज--- अश्विनी शर्मा
एक समय था जब लूट सामंती व्यवस्था द्वारा होती थी और अपनी जान की सलामती के लिए ज्यादातर लोग विरोध नहीं कर पाते थे। वह सामंती व्यवस्था समाप्त हो चुकी है और आज भारत विश्व-पटल पर अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन आम आदमी के साथ लूट का सिलसिला आज भी जारी है। बस, इस लूट के तरीके बदल गए हैं। अब यह लूट बैंकों के...
More »इस आधार को चाहिए नया विस्तार-- नंदन नीलेकणि
आधार इसलिए बनाया गया था, ताकि तमाम लोगों को एक अद्वितीय व डिजिटल पहचान दी जा सके। मगर आज खुद आधार की पहचान सवालों के घेरे में है। ऐसे कई लोग हैं, जो यह बताते नहीं थकते कि आधार एक बचत योजना है। अपने तर्कों में वे इसे एक अप्रभावी बचत योजना भी कहते हैं। चूंकि आधार-निर्माण की प्रक्रिया में मैं भी शामिल रहा हूं, इसलिए यह दावे से कह...
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