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दिल्ली में बीते पांच सालों में हर साल हुए औसतन 50 हज़ार गर्भपात: आरटीआई

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में पिछले पांच साल के दौरान हर साल औसतन 50 हजार गर्भपात होने के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आये हैं. साथ ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का दावा करने वाली दिल्ली में प्रसव के दौरान मां की मौत का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है. सूचना के अधिकार (आरटीआई) से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, दिल्ली में 2013-14 से 2017-18 के दौरान सरकारी और निजी स्वास्थ्य केन्द्रों...

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आश्रय गृहों का हाल खराब

पिछले दिनों राष्ट्रीय महिला आयोग की तीन सदस्यीय जांच टीम ने चार राज्यों के 26 महिला आश्रय गृहों का दौरा किया, जिनमें से 25 में अनियमितता पायी गयी. ये चार राज्य थे- उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और ओड़िशा. ज्ञात हो कि इन आश्रय गृहों में वे महिलाएं होती हैं, जो यौन हिंसा के शिकार हों या छोड़ दी गयीं या अन्य प्रकार की पीड़िता. महिलाओं की बदतर स्थिति तथा...

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ईशनिंदा को अब अलविदा!- सुभाष गताडे

इंडोनेशिया की चीनी मूल की बौद्ध महिला मैलाना (उम्र 44 साल) को बहुत कम लोग जानते होंगे. कुछ माह पहले ही वह इंडोनेशिया के अखबारों में सूर्खियों में रही, जब वहां के विवादास्पद ईशनिंदा कानून के तहत उसे दो माह की सजा सुनायी गयी. सुमात्रा द्वीप की रहनेवाली इस महिला का ‘जुर्म' इतना ही था कि उसने अपने स्थानीय मस्जिद से दी जा रही अजान की तेज आवाज के बारे...

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बच्चियों के जीने लायक बने दुनिया-- डॉ सय्यद मुबीन जेहरा

कुछ मौतों का जिक्र हमारी जबान पर इसलिए नहीं आता है कि हम अब बड़ी-बड़ी मौतों पर चिंतन करनेवाले लोग हो गये हैं और हमारे चिंतन का केंद्र बिंदु भी सिर्फ सियासी हो चुका है. इसमें समाज के लिए न तो पहले जगह थी और न ही अब है और अगर यही हालात रहे, तो आगे भी नहीं होगी! जो समाज अपने बचपन से जुड़ी समस्या को लेकर चिंतित नहीं...

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अजन्मी बेटियों के बगैर-- पीयूष द्विवेदी

देश में विषम लिंगानुपात की समस्या और इस पर चर्चा, दोनों ही पुरानी हैं, मगर वर्तमान समय में जब शिक्षित हो रहे भारतीय समाज में लड़का-लड़की के बीच भेदभाव नहीं करने को लेकर सरकार से समाज तक की तरफ से प्रयास हो रहे हैं और माना जा रहा था कि स्थिति सुधर रही है, ऐसे समय में लिंगानुपात से संबंधित नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट हमें पुन: सोचने पर विवश...

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