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पराली समस्या पर सरकारी प्रयास अव्यावहारिक, क्या है पर्यावरण हितैषी स्थायी समाधान?

डाउन टू अर्थ, 20 अक्टूबर  भारत सहित पूरी दुनिया के लगभग 80 प्रतिशत किसान धान की पराली जलाते हैं, जिससे गंभीर वायु प्रदूषण फैलता है। जो हर साल घनी आबादी और ज्यादा औद्योगिक घनत्व वाले भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मेंं अक्टूबर-नवंबर महीने मेंं हवा की गति कम होने और हिमालय से ठंडी हवा आने से बहुत ज्यादा गंभीर हो जाता है। इस वायु प्रदूषण समस्या के समाधान के लिए केन्द्र...

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पराली समस्या पर सरकारी प्रयास अव्यावहारिक, क्या है पर्यावरण हितैषी स्थायी समाधान?

डाउन टू अर्थ, 18 अक्टूबर  भारत सहित पूरी दुनिया के लगभग 80 प्रतिशत किसान धान की पराली जलाते हैं, जिससे गंभीर वायु प्रदूषण फैलता है। जो हर साल घनी आबादी और ज्यादा औद्योगिक घनत्व वाले भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मेंं अक्टूबर-नवंबर महीने मेंं हवा की गति कम होने और हिमालय से ठंडी हवा आने से बहुत ज्यादा गंभीर हो जाता है। इस वायु प्रदूषण समस्या के समाधान के लिए केन्द्र...

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सूखा प्रतिरोधी बाजरा क्या भारत में खाद्य सुरक्षा का रास्ता खोल सकता है?

द थर्ड पोल, 10 अक्टूबर भारत सरकार, घरेलू स्तर पर और दुनिया भर में भारतीय दूतावासों के माध्यम से कम खपत वाली, जलवायु के लिहाज से लोचशील फसल, बाजरा की प्रोफाइल बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास कर रही है। इस प्रयास को विश्व स्तर पर मान्यता भी मिल रही है। जनवरी में, भारत के एक प्रस्ताव के बाद, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित किया। जून में,...

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दालों के बढ़ते दाम के बीच पढ़‍िए भारत में दलहन फसलों की उपेक्षा की पूरी कहानी

किसान तक , 17 अगस्त इसमें कोई शक नहीं क‍ि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक है. लेक‍िन, इसमें भी कोई शक नहीं है क‍ि हम बड़े दाल आयातक भी हैं. सवाल यह है क‍ि ऐसा विरोधाभास क्यों? जवाब यह है क‍ि बढ़ती जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के ल‍िए दलहन फसलों की ज‍ितनी खेती होनी चाह‍िए थी, उस गत‍ि से रफ्तार नहीं बढ़ी. आजादी के बाद से ही...

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फसल अवशेषों के अनुमान के साथ आसान हो सकेगा बायो ऊर्जा उत्पादन: रिपोर्ट

मोंगाबे हिंदी, 10 अगस्त हाल ही मे हुए एक अध्ययन में दावा किया गया है कि फसलों के अवशेषों से बायो ऊर्जा का उत्पादन करने की भारत की क्षमता पहले के अनुमान से कम है। यह सालाना 1313 पेटाजूल्स (PJ) (1 PJ = 277778 मेगावाट) बायोएनर्जी बनाने की क्षमता का सुझाव देता है, जो 1738 से 4150 PJ तक के पहले के अनुमान से कम है। हालांकि, अध्ययन जिले और अलग-अलग...

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