राजव्यवस्था का एक सामान्य सिद्धांत है कि वित्तीय संसाधनों का सबसे सही आवंटन सरकार का वह स्तर करता है, जो लाभुकों से सर्वाधिक निकटस्थ होता है, जबकि संसाधनों के बेहतरीन संग्रहण की अपेक्षा सरकार के उस स्तर से की जाती है, जो करदाताओं से सर्वाधिक सुदूर स्थित है. इसलिए सभी सहयोगात्मक संघीय व्यवस्थाओं में कराधान की शक्ति सामान्यतः केंद्र सरकार के पास केंद्रित रहती है, जबकि व्यय का भार...
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जनसंख्या नीति को नई राह जाना होगा-- नवीन चंद्र लोहनी
सर्वोच्च न्यायालय में एक दंपति के अधिकतम दो संतान पैदा करने से जुड़ी जनहित याचिका हो या फिर देश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर निकल रही रैलियां, इन सबका एक मतलब तो यह निकलता ही है कि जनसंख्या नीति पर तुरंत कठोर निर्णय लेने का समय आ गया है। भारत में युवा शक्ति, युवा मस्तिष्क और युवा देश होने की बात जब नारों और जयकारों के बीच आती है, तो...
More »शहरीकरण के बढ़ते खतरे--- देवेंद्र जोशी
अनियोजित शहरीकरण आज किसी एक प्रदेश की नहीं, बल्कि पूरे देश की समस्या है। आजादी के सत्तर सालों में जहां कस्बे शहर, शहर नगर और नगर महानगर बनते चले गए, वहीं गांवों की स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया। गांव आज भी गांव ही है। वही आबोहवा, आंचलिक संस्कृति, एक-दूसरे के सुख-दुख में हिस्सा बंटाने का आत्मीय भाव, अभाव में भी संतुष्टि और इस सबसे बढ़ कर छोटी-सी घटना...
More »भारत में जलमार्गों की आर्थिकी-- प्रवीर पांडे
अतीत में व्यापार और यात्री परिवहन के लिए नदियां एक समृद्ध माध्यम रहीं। लेकिन सड़क और रेलतंत्र के विकास के साथ ही नदी आधारित परिवहन पर ध्यान कम होने लगा। अब जब विकास और उन्नति के साथ ही पर्यावरण को बनाए रखने पर जोर है- परिवहन के लिए अंतर्देशीय जलमार्ग विकास पर भी ध्यान केंद्रित हो रहा है। गंगा-यमुना और देश की अन्य नदियों को पुनर्जीवित करने के साथ ही...
More »स्त्री छवि का उनका खांचा-- मनीषा सिंह
अमेरिका और ब्रिटेन जैसे खुले समाजों वाले देश 'कंटेंट वॉटरशेड टाइमिंग' जैसे तरीके का इस्तेमाल कर यह सुनिश्चित करते हैं कि टीवी पर ऐसी फिल्मों, धारावाहिकों और विज्ञापनों का प्रसारण उस वक्त न हो, जिस वक्त आम तौर पर बच्चे टीवी देख रहे होते हैं। इन विकसित देशों में भी ऐसी पाबंदी के पीछे यह धारणा काम कर रही है कि खुले समाज का अर्थ यह नहीं है कि वयस्क...
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