SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 869

एक सप्‍ताह में आवश्‍यक वस्‍तुओं की कीमत में 80 फीसदी तक उछाल, दूध के बाद इस प्रोडक्‍ट के बढ़े दाम

जनसत्ता, 17 अक्टूबर अक्‍टूबर महीने के दौरान बहुत से आवश्‍यक चीजों के कीमतों में तेजी से उछाल आया है। द फ्री प्रेस जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में आवश्‍यक वस्‍तुओं की कीमतों में पिछले एक हफ्ते के दौरान 60 से लेकर 80 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है। साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आने वाले दिनों में यानी कि नवंबर के शुरुआती हफ्ते में इन...

More »

एचआईवी दवाओं की कमी संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा

द वायर, 22 सितम्बर एचआईवी रोगियों के इलाज के लिए एंटी-रेट्रोवायरल दवाओं की कमी का आरोप लगाने वाली एक याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने एक गैर सरकारी संगठन की याचिका पर स्वास्थ्य मंत्रालय, राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) और अन्य को नोटिस जारी किया. पीठ ने कहा, ‘याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि देश में एआरटी दवाओं की खरीद नाकाफी...

More »

जेंडर

खास बात   साल 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल श्रमशक्ति की तादाद 40 करोड़ है जिसमें 68.37 फीसद पुरुष और 31.63 फीसद महिला कामगार हैं। @ तकरीबन 75.38%  फीसद महिला श्रमशक्ति खेती में लगी है। @ एफएओ के आकलन के मुताबिक विश्वस्तर पर होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन का 50 फीसद महिलायें उपजाती हैं। # साल 1991 की जनगणना के अनुसार 1981 से 1991 तक पुरुष खेतिहरों की संख्या में 11.67 फीसदी की बढोतरी...

More »

जलवायु संकट में भारत की संघीय प्रणाली की पुनर्कल्पना

-आइडियाज फॉर इंडिया, सभी देशों की तरह भारत के लिए भी, जलवायु परिवर्तन एक अत्यंत तेजी से बढती समस्या बन गई है। इस लेख के जरिये पिल्लई एवं अन्य तर्क देते हैं कि इस समस्या के समाधान के लिए भारत की संघीय प्रणाली की पुनर्कल्पना करने की आवश्यकता है, क्योंकि भारत के संविधान में जलवायु संबंधी कई क्षेत्रों में राज्यों के महत्वपूर्ण कर्त्तव्य निर्धारित किये गए हैं। वे जलवायु नीति में संस्थागत सुधार...

More »

महामारी के समय में बजट और राजनीति

-आइडियाज फॉर इंडिया, हाल ही में वर्ष 2022-23 के लिए घोषित बजट को राजनीतिक अर्थव्यवस्था के चश्मे से देखते हुए, यामिनी अय्यर तर्क देती हैं कि महामारी के दौरान घोषित किये गए दोनों बजटों में कल्याण से ज्यादा पूंजीगत व्यय पर दिया गया जोर "बाजार के अनुकूल सुधारों" की ओर राजनीतिक आख्यान में बदलाव का सिलसिला मात्र है जो 2019 में मोदी सरकार के फिर से चुने जाने के साथ शुरू...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close