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किसानों को चाहिए साहसिक सुधार-- आलोक रंजन

देश के ज्यादातर राज्य गंभीर कृषि संकट की गिरफ्त में हैं। किसानों का असंतोष व उनकी बेचैनी दिनोंदिन आक्रामक होती जा रही है। मध्य प्रदेश के मंदसौर में जो कुछ हुआ, वह हमारे नीति-नियंताओं के लिए एक झकझोर देने वाला वाकया था। यह कोई छिपी हुई बात नहीं है कि किसानों को उनकी फसलों का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है। उनकी आमदनी नहीं बढ़ रही है। दालों और...

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उधार माफी से नहीं होगा उद्धार - प्रदीप सिंह

बीमारी पता हो और उसका इलाज भी, फिर भी बीमारी बनी रहे तो इसे क्या कहेंगे? अपने देश में किसानों और खेती-बाड़ी के साथ यही हो रहा है। बीते सात दशक से किसान को इंतजार है ऐसी सरकार का जो उसके मर्ज का इलाज करे, लक्षण का नहीं। समस्या इतनी-सी है कि किसान फसल उपजाने के लिए जितना खर्च करता है, उसे बेचकर वह उतना भी नहीं कमा पाता। सरकारों...

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'पीर के पर्वत का पिघलाव है यह'- किसान आंदोलन पर योगेन्द्र यादव

पीर के पर्वत का पिघलाव है यह योगेंद्र यादव राष्ट्रीय अध्यक्ष, स्वराज इंडिया मध्य प्रदेश के मंदसौर में अपना विरोध व्यक्त करते किसानों पर पुलिस की गोलीबारी किसान आंदोलन के इतिहास में एक नये चरण का आगाज कर सकती है. सरकार के इनकार के बावजूद, अब यह साफ है कि 6 जून को चलीं पुलिस की इन गोलियों ने कम से कम पांच किसानों की हत्या कर दी. वहां की सरकार...

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हरित क्रांति की जमीन पर किसानों की खुदकुशी-- संजीव शर्मा

पंजाब में पिछले एक दशक के दौरान हुई किसान आत्महत्या की घटनाओं ने सरकारी तंत्र पर हमेशा सवाल खडेÞ किए हैं। राज्य में भले ही सत्ता परिवर्तन हो गया है लेकिन किसानों की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है। आज भी सूबे के किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं। पंजाब में सत्ता परिवर्तन को करीब तीन माह हुए हैं और इन तीन महीनों के दौरान करीब 60 किसान मौत...

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सरकारी शाहखर्ची और बदहाल किसान-- संजीव पांडेय

र्ष 2014 और 2015 भारतीय किसानों के लिए बुरे थे। दो सालों तक लगातार खराब मानसून के चलते देश के ग्यारह राज्यों के ढाई सौ से ज्यादा जिलों में सूखे की स्थिति रही। इस स्थिति में भी बिहार के औरंगाबाद जिले के चिल्हकी गांव के किसान खुशहाल थे। वे आज भी खुशहाल हैं। औरंगाबाद-डाल्टेनगंज रोड पर स्थित पिछड़ी जाति बहुल इस गांव की खुशहाली का कारण गांव के ही कुछ...

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