-डाउन टू अर्थ, “पहले बारिश ने मक्के की फसल खराब की और जो रही बची कसर थी वह मंडी ने पूरी कर दी। फसल की कटाई होने लगी है लेकिन कीमत कम मिलने की वजह से इसे मंडी ले जाने की हिम्मत नहीं हो रही,” यह कहना है मध्य प्रदेश के हरदा जिले के किसान राकेश भावसार का। “अतिवृष्टि से मक्के की फसल ने दाने काफी कम आए। साथ ही, कीड़े लगने...
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किसान हित के दावों के बीच सरकार ने लक्ष्य के मुकाबले छह फीसदी से भी कम दालें और तिलहन खरीदा
-द वायर, मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ छह महीने से भी अधिक समय से चल रहे आंदोलनों के बीच केंद्र ने साल 2021-22 की खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की है. भाजपा और केंद्र सरकार इस मौके को किसानों के प्रति अपनी छवि सुधारने के रूप में इस्तेमाल कर रही है, जहां केंद्रीय मंत्रियों से लेकर भाजपा के नेता एवं कार्यकर्ता तक प्रधानमंत्री नरेंद्र...
More »बढ़ती मंहगाई के बीच लगातार घाटा सहता किसान
-रूरल वॉइस, अगर आप एक ऐसे व्यवसाय से जुडे हैं, जिसमे लागत खर्च लगातार बढ़ता रहता है, लेकिन आपके उत्पाद की कीमतों मे या तो बहुत ही मामूली उछाल देखने को मिलता है या फिर अधिकतर वह कीमतें घट जाती हैं तो क्या आप उस व्यवसाय में रहना चाहेंगे? ज्यादातर लोगों का जवाब होगा 'नहीं' । लेकिन अगर कहा जाए कि आपके पास कोई विकल्प नहीं है और भले ही आपको...
More »फुलवारी की सब्जी बाड़ी -बाबा मायाराम
हम अपनी फुलवारी में सब्जी बाड़ी व रंग-बिरंगे फूल लगाते हैं। इसमें कई तरह की हरी भाजियां, फल व सब्जियां होती हैं। बच्चों को हरी ताजी भाजियां खिचड़ी में पकाकर खिलाते हैं, जिससे बच्चों को पोषण मिलता है। अब इस पहल में महिला समूह, पालक और किसान जुड़ गए हैं। यह परमेश्वरी व शिवकुमारी थीं, जो बिलासपुर जिले के करहीकछार गांव में फुलवारी कार्यकर्ता हैं। फुलवारी एक तरह का झूलाघर है,...
More »आत्मनिर्भर खेती की ओर - बाबा मायाराम
“पहले मैं रासायनिक खेती करता था, लेकिन इससे धीरे-धीरे मेरे खेत की मिट्टी जवाब देने लगी, उत्पादन कम होने लगा। इसके बाद मैंने जैविक खेती शुरू की। जैविक खाद व जैव कीटनाशक बनाना सीखा। खेती में अच्छा उत्पादन लिया, मिट्टी में सुधार हुआ। अब मैं दूसरों को भी जैविक खेती करने के लिए प्रशिक्षण देता हूं।” यह ओडिशा के सुदाम साहू थे, जो बरगढ़ जिले के कांटापाली गांव में रहते...
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