पिछले हफ्ते भारत में आर्थिक सुधार और भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के पच्चीस साल पूरे हुए। सरकार ने इस अवसर की अनदेखी की, और इसकी वजह समझना मुश्किल नहीं है: आर्थिक सुधार पीवी नरसिंह राव के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार ने शुरू किए थे, और तब भाजपा ने इसका पुरजोर विरोध किया था। (स्वदेशी जागरण मंच का वजूद आज भी है।) कल्पना करें कि 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी...
More »SEARCH RESULT
मेडिकल कॉलेजों में जिला अस्पतालों से भी कम दवाएं
भोपाल (ब्यूरो)। बात एमजीएम मेडिकल कॉलेज से संबद्ध बड़े अस्पताल की हो या फिर भोपाल के हमीदिया अस्पताल की। इनमें अनेक सुपर स्पेशलिटी सेवाएं तो मिल जाती है, लेकिन मरीजों को दवाइयां नहीं मिलती। डॉक्टर केवल सलाह ही दे पाते हैं। कारण इन अस्पतालों की इसेंशियल ड्रग लिस्ट (ईडीएल) यानी आवश्यक दवाइयों की सूची में 35 तरह की दवाएं ही शुमार हैं।उधर, जिला अस्पतालों की ईडीएल में 300 दवाइयां हैं। इनमें...
More »स्वास्थ्य शिक्षा और वैकल्पिक चिकित्सा- ऋतु सारस्वत
संविधान का अनुच्छेद इक्कीस जीने का अधिकार ही नहीं देता, बल्कि सम्मान से पूर्ण स्वस्थता के साथ जीने का अधिकार देता है। पर हमारा यह अधिकार कितना सुरक्षित है? विश्व जनसंख्या में साढ़े सोलह प्रतिशत की भागीदारी निभाने वाले भारत की विश्व की बीमारियों में हिस्सेदारी बीस प्रतिशत है। भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य-व्यवस्था और स्वास्थ्य शिक्षा की आवश्यकता और प्रचलन की पहचान प्राचीन है। भारत में औपचारिक तौर पर स्वास्थ्य...
More »बाल श्रम, सरकार और समाज-- सुशील कुमार सिंह
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार बाल श्रम (प्रतिबंध और नियमन) संशोधन विधेयक-2012 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल गई है। संभव है कि आने वाले शीत सत्र में इसे संसद के समक्ष पेश किया जाएगा। यह बदलाव 1986 के कानून को न केवल परिमार्जित करने से संबंधित है, बल्कि चौदह से अठारह वर्ष की उम्र के किशोरों के काम को लेकर नई परिभाषा भी गढ़ी जा रही है।...
More »मुफ्त की शिक्षा या मुनाफे का धंधा- यूपी के शिक्षा विभाग के बारे में कोबरापोस्ट का सनसनीखेज खुलासा
भले ही शिक्षा का अधिकार कानून में 14 साल तक बच्चों के लिए अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा के तहत बच्चों को स्कूली पोशाक निशुल्क देने का प्रावधान है लेकिन बात उत्तरप्रदेश के शिक्षा विभाग की हो तो यही नियम उलट जाता है। यूपी के शिक्षा विभाग के ओहदेदार मुफ्त पोशाक को मुनाफे का धंधा समझते हैं और निशुल्क पोशाक का प्रावधान लागू करने के लिए अपना खास निजी शुल्क वसूलते हैं।...
More »