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महंगाई "वास्तविक" है और इसका समाधान भी वास्तविक होना चाहिए

-न्यूजक्लिक, महंगाई और इससे निपटने के तरीके लोगों को असल में प्रभावित करते हैं। यह महज़ कोई आंकड़ा नहीं है, जिसे हम विशेषज्ञों की बातचीत में टीवी पर देखते हैं। बल्कि यह तय करता है कि कैसे असली संसाधन हमारे समाज में वितरित हो रहे हैं। कैसे उन तक अलग-अलग वर्ग समूहों की पहुंच सुनिश्चित हो रही है। सामान्य आदमी की इसमें कोई भागेदारी नहीं होती कि सरकार कैसे मुद्रास्फीति (महंगाई)...

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गोरखपुर: कोविड के समय हुईं 40 से अधिक मौतें चुनाव ड्यूटी से जुड़ी हैं, लेकिन क्या महामारी एक चुनावी मुद्दा है?

-न्यूजलॉन्ड्री, 15 अप्रैल 2021 को उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों के दौरान तमाम कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ. जिसके चलते राज्य में 700 से अधिक शिक्षाकर्मियों ने कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर जान गंवा दी. अकेले गोरखपुर में 40 से अधिक शिक्षाकर्मियों की मौत हो गई. उनके परिवार अब तक मुआवजे और नौकरी को लेकर परेशान हैं. "हम किस सरकार के लिए वोट दें, जिसने हमे विधवा बना दिया?" 39 वर्षीय...

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ओबीसी वोट की होड़ में कैसे दब गया जातिगत जनगणना का मुद्दा

-जनपथ, देश के पांच राज्‍यों में चल रहे विधानसभा चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए जातिगत राजनीति करने वाली पार्टियां अपने-अपने वोट बैंक साधने के लिए प्रयासरत हैं। देश का ओ.बी.सी. समुदाय कुल आबादी का 50 प्रतिशत से अधिक है। जाति आधारित राजनैतिक पार्टियां इस समुदाय को अपने-अपने पक्ष में करने के लिए जी तोड़ प्रयास कर रही हैं, इसीलिए जाति जनगणना करने की...

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कोविड-19 और दीर्घकालिक गरीबी: ग्रामीण राजस्थान से साक्ष्य

-आइडियाज फॉर इंडिया, प्रारंभिक गणना के आधार पर, भारत में कोविड-19 के कारण 7.7 से 22 करोड़ लोग गरीबी में आ गए हैं, जिसके अनुसार अब शहरी आबादी में गरीब 60% और ग्रामीण आबादी में 70% हो गए हैं। वर्ष 2002 में ग्रामीण राजस्थान में किए गए सर्वेक्षण के 2021 में किये गए फॉलोअप के आधार पर, यह लेख दर्शाता है कि परिवारों को मार्च 2020-अगस्त 2021 के दौरान अपनी नकद आय का...

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क्या यह हमारे देश का ही शिक्षा बजट है?

-जनपथ, जब मीडिया शिक्षा के क्षेत्र में वित्तमंत्री द्वारा बजट बढ़ाए जाने को लेकर उनके प्रशस्ति-गान में लगा हुआ है तब आंकड़ों की दुनिया की अजब-गजब संभावनाओं पर चर्चा करने को जी करता है। आंकड़ों की अलग-अलग प्रकार की तुलना अथवा एक खास ध्येय से उनके चयन के द्वारा खराब स्थिति की अच्छी तस्वीर दिखाई जा सकती है किंतु यह आंकड़े ही हैं जो इस अच्छी तस्वीर की सच्चाई को हम...

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