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बजट 2023: अल्पसंख्यकों से जुड़ी योजनाओं में भारी कटौती, मंत्रालय का आवंटन 38 फीसदी घटाया गया

द वायर, 3 फरवरी वित्त वर्ष 2023-24 में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के बजट में बीते वित्त वर्ष (2022-23) के मुकाबले 38 फीसदी की कटौती की गई है. द हिंदू के मुताबिक, कई छात्रवृत्ति और कौशल विकास योजनाओं के फंड में बड़ी कटौती की गई है, इनमें अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए पेशेवर और तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए मिलने वाली छात्रवृत्ति भी शामिल है. इस साल योजनाओं को 44 करोड़ रुपये...

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बजट 2023-2024 : एलपीजी सब्सिडी में 75 प्रतिशत, खाद्य सब्सिडी में 31 प्रतिशत, उर्वरक सब्सिडी में 22 प्रतिशत कटौती

डाउन टू अर्थ, 2 फरवरी  केंद्र सरकार के 2023-24 के आम बजट में सब्सिडी योजनाओं की धनराशि में बड़ी कटौती की गई है। इसके साथ ही कई सब्सिडी योजनाओं का बजट खत्म कर दिया है। सरकार ने खाद्य सब्सिडी के बजट में 89,844 करोड़ रुपए की कटौती करते हुए 1,97,350 करोड़ रुपए कर दिया है। 2022-23 के संशोधित बजट अनुमान में खाद्य सब्सिडी 2,87,194 करोड़ रुपए थी। यानी खाद्य सब्सिडी के...

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कॉप 27: 2022 के दौरान भारत के उत्सर्जन में हो सकती है 6 फीसदी की वृद्धि, चीन में आएगी गिरावट

 डाउन टू अर्थ, 14 नवम्बर  पिछले वर्ष की तुलना में इस साल वैश्विक उत्सर्जन में मामूली वृद्धि होने की आशंका है। वहीं सबसे ज्यादा वृद्धि भारत में देखने को मिल सकती है। यह जानकारी मिस्र के शर्म अल-शेख में जलवायु परिवर्तन पर चल रहे 27वें संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (कॉप 27) के दौरान जारी रिपोर्ट में सामने आई है। वहीं अमेरिका में  उत्सर्जन में दूसरी सबसे बड़ी वृद्धि होने का अनुमान...

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गरीबी और असमानता

[inside] इंडिया में आर्थिक असमानता: “अरबपति राज” में ब्रिटिश राज से भी ज्यादा है असमानता - रिपोर्ट [/inside] इंडिया के भौगोलिक आकार और जनसंख्या, जो अब दुनिया में सबसे अधिक है, को देखते हुए इंडिया में आर्थिक विकास का वितरण विश्व की आर्थिक असमानता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इसलिए इंडिया में आय और संपत्ति की असमानता को सटीक रूप से मापना अत्यधिक आवश्यक है। हाल ही में वर्ल्ड इनइक्वलिटी डाटाबेस ने...

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महामारी के समय में बजट और राजनीति

-आइडियाज फॉर इंडिया, हाल ही में वर्ष 2022-23 के लिए घोषित बजट को राजनीतिक अर्थव्यवस्था के चश्मे से देखते हुए, यामिनी अय्यर तर्क देती हैं कि महामारी के दौरान घोषित किये गए दोनों बजटों में कल्याण से ज्यादा पूंजीगत व्यय पर दिया गया जोर "बाजार के अनुकूल सुधारों" की ओर राजनीतिक आख्यान में बदलाव का सिलसिला मात्र है जो 2019 में मोदी सरकार के फिर से चुने जाने के साथ शुरू...

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