-द वायर, गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के गठबंधन ने लॉकडाउन के बाद श्रम कानूनों में ढील देने से महिला श्रमिकों पर दुष्प्रभाव पड़ने और श्रमबल में बाल मजदूरों की शामिल होने की आशंका जताई है और सरकार से विधेयक की समीक्षा करने की अपील की है. गठबंधन- वर्किंग ग्रुप ऑन वुमेन इन वैल्यू चैन्स (डब्ल्यूआईवीसी) ने रेखांकित किया है कि कैसे आर्थिक विकास की गति बढ़ाने के लिए विभिन्न स्तर पर दी...
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‘अब श्रमिक स्पेशल ट्रेन का और इंतज़ार नहीं होता, सफ़र की तारीख नहीं मिली तो पैदल ही चल देंगे’
-द वायर, विभिन्न राज्यों में फंसे हुए मजदूरों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई हैं, लेकिन इस सफर के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने में प्रवासी श्रमिकों को काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. हाल यह है कि रजिस्ट्रेशन करने के दस दिन बाद भी उनकी यात्रा सुनिश्चित नहीं हो पा रही है. यही कारण है कि प्रवासी श्रमिक ट्रेन में बारी आने का इंतजार...
More »छत्तीसगढ़ः पारले-जी बिस्किट की फैक्ट्री से 26 बाल मज़दूर छुड़ाए गए
रायपुर: छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले की पुलिस ने एक बिस्किट कारखाने से 26 बाल मजदरों को मुक्त कराया है. रायपुर जिले के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पुलिस, महिला एवं बाल विकास विभाग, श्रम विभाग, शिक्षा विभाग और सामाजिक संगठनों ने संयुक्त रूप से कार्रवाई कर आमासिविनी गांव में पारले-जी बिस्किट की उत्पादन इकाई से 26 बाल मजदूरों को मुक्त कराया गया. इन बच्चों को किशोर गृह भेज दिया गया...
More »राजस्थान: बालश्रम से छुड़ाए गए 152 बच्चे महीनों से घर लौटने का कर रहे इंतज़ार
जयपुर: राजस्थान में बाल श्रम ये बचाए गए दिलशाद, जीतू, अख़लाख़, गुड्डू (सभी बदले हुए नाम) जैसे 152 बच्चे पिछले साल ईद और दिवाली अपने घर पर नहीं मना सके. इसकी वजह सरकारी लापरवाही और हाल ही में हुए राजस्थान के विधानसभा चुनाव हैं. दरअसल, इन 152 बाल श्रमिक और निराश्रित बच्चों को पिछले साल जयपुर से बालश्रम और बंधुआ मज़दूरी से आज़ाद कराया गया, लेकिन सरकारी लेटलतीफ़ी की वजह से...
More »झारखंड का जनजातीय समाज -- जेबी तुबिद
झारखंड का जनजातीय समाज एक स्वाभिमानी समाज है. पीढ़ियों से समाज ने अपनी अस्मिता की लड़ाई लड़कर अपनी पहचान को अक्षुण्ण रखा है. प्रकृति ने उन्हें लड़ने की क्षमता दी है. साथ ही प्रकृति के साथ सामंजस्य कर जीवन बसर करने के अलौकिक गुण भी दिये हैं. सांस्कृतिक दृष्टि से समाज काफी धनी है. जनजातीय समाज अपनी दुनिया में जीता है एवं दूसरे समाज को अपने में समाविष्ट...
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