-डाउन टू अर्थ, किसी देश का भविष्य कैसा होगा, यह उसके बच्चों के भविष्य पर निर्भर होता है। लेकिन जब विकास का आधार ही कुपोषित हो तो सोचिये वह देश के भविष्य में कितना योगदान देगा। क्या होगा, जब देश के लगभग 58 फीसदी नौनिहालों (6 से 23 माह के बच्चों) को पूरा आहार ही न मिलता हो और जब 79 फीसदी के भोजन में विविधता की कमी हो। कैसे पूरे...
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असम : एनआरसी से बाहर रह गए लोग झूल रहे हैं अनिश्चितता में
-सत्यहिंदी, असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की अंतिम सूची, 2019 से जिनके नामों को बाहर रखा गया, ऐसे 19.06 लाख आवेदकों की नागरिकता की स्थिति एक साल गुजर जाने के बाद भी अधर में लटकी हुई है। सूची से बाहर किए गए लोगों को अस्वीकृति पर्ची जारी करने की प्रक्रिया को कोविड-19 महामारी की स्थिति के कारण स्थगित कर दिया गया था। जिन 19 लाख लोगों को एनआरसी से बाहर रखा...
More »कोविड-19 का असर लंबा चला तो घटेगी भारतीय कंपनियों की रेटिंग
-इंडिया टूडे, कोविड-19 के असर से अगर भारतीय कंपनियां जल्द नहीं उभरेंगी तो उनकी रेटिंग घटने का खतरा बढ़ जाएगा. ग्लोबल रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड ऐंड पुअर्स ने अपने ताजा बयान में कहा कि भारत में कंपनियों की रेटिंग या साख के और नीचे जाने का जोखिम है. एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अगर कंपनियों की आय में सुधार 18 महीने से अधिक लंबा खिंचता है जो उनकी साख और घट...
More »कोविड19 इलाज: होम केयर पैकेज के बारे में कितना जानते हैं आप?
-बीबीसी, कोरोना का कोई ठोस इलाज फिलहाल मौजूद नहीं है. बावजूद इसके, प्राइवेट अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आए तो आपको कई लाख इसके लिए ख़र्च करने पड़ सकते हैं. सोशल मीडिया पर कई अस्पतालों के रेट लिस्ट इन दिनों खूब वायरल हो रहे हैं. लेकिन कोविड19 के इलाज के लिए दो बातें जाननी बेहद ज़रूरी हैं. पहला ये कि हर किसी को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती....
More »सहरिया आदिवासी: लॉकडाउन की मार से त्रस्त
इस बार गर्मियों के दिन पूरन के लिए कुछ अलग हैं, इस साल कोई 'फड़' नहीं लगी गांव में. वैसे हर साल इन दिनों में 'फड़' लगती थी और पूरन अपने परिवार सहित तेंदू पत्ता तोड़ने जंगल जाते थे, इस बार कोरोना वायरस की वजह से ऐसा नहीं हुआ. पूरन शिवपुरी जिले के कुंवरपुर गांव में रहते हैं, वो सहरिया आदिवासी हैं. इन दिनों वो कुंवरपुर की 'सहराना' बस्ती मे लॉकडाउन...
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