भारत के सबसे बेहतरीन बिजनेस स्कूलों में से एक आईआईएम अहमदाबाद के विशाल छायादार कैम्पस में लाल ईंटों की एक दीवार है। इस दीवार के दूसरी तरफ अनेक बेसहारा लोगों का बसेरा है। इनमें कचरा बीनने वाले, निर्माण श्रमिक और भिखारी शामिल हैं। मेरे एक छात्र ने इस विडंबना को रेखांकित करते हुए कहा था कि महज सौ मीटर के फासले पर दो अलग-अलग दुनियाएं बसी हैं। एक दुनिया वह है, जहां...
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बालश्रम का कलंक- निशिकांत ठाकुर
आजादी के छह दशक बीत जाने के बाद भी जो बातें भारत के लिए शर्म की बड़ी वजह बनी हुईं हैं बालश्रम को अगर उनमें सबसे ऊपर रखा जाए तो गलत नहीं होगा। आज भी हमारे देश में करोड़ों बच्चे खेलने-कूदने और पढ़ने-लिखने की उम्र में खेतों से लेकर होटलों और खतरनाक उद्योगों तक में अत्यंत विकट परिस्थितियों में जीतोड़ मेहनत करने के लिए मजबूर हैं। बेफिक्री की उम्र में ही उनके ऊपर इतनी...
More »बाप के होते भी बेसहारा बच्चे
मुजफ्फरपुर [जाटी]। उत्तर बिहार में बाल श्रमिक उन्मूलन के लिए हवा में ही तलवारबाजियां हो रही हैं। रोज नए-नए दावे किए जाते हैं, लेकिन यहां के हर जिले में उन बच्चों की बड़ी तादाद है, जो बाप के होते भी बेसहारा हैं और बाल मजदूरी करने को विवश हैं। उन्मूलन के लिए सरकारी और गैरसरकारी स्तर पर हो रहे प्रयासों का कोई सार्थक नतीजा नहीं निकल पा रहा है। ...
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