-बीबीसी, दक्षिण एशिया में अपने नारों, गीतों और अकाट्य तर्कों से नारीवादी आंदोलन को बुलंदियों पर ले जाने वालीं मशहूर लेखिका और नारीवादी आंदोलनकारी कमला भसीन का शनिवार सुबह दिल्ली में निधन हो गया है. सारी उम्र अपनी शर्तों और मानकों पर ज़िंदगी जीने वाली 76 वर्षीय कमला भसीन जीवन के आख़िरी समय में कैंसर से जूझ रही थीं. कमला भसीन को बेहद क़रीब से जानने वालीं नारीवादी कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव बताती हैं...
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अफ़ग़ानिस्तान: तालिबान के साथ जंग का अवाम की आंखों में बढ़ता ख़ौफ़, एक भारतीय महिला पत्रकार की आंखों देखी
-बीबीसी, मैं जब भी अफ़ग़ानिस्तान गई हूं, वहां के लोगों ने खुले दिल से मेरा स्वागत किया है. जैसे ही उन्हें पता चलता है कि मैं भारत से हूं तो वो मुझे अपनी दिल्ली यात्रा के बारे में बताते हैं और बताते हैं कि उन्हें भारत आ कर कैसे लगा. वो ख़ुश हो कर दिल्ली के सरोजिनी नगर मार्केट और लाजपत नगर मार्केट से खरीदारी के क़िस्से मुझे सुनाते हैं. वो अपने...
More »देश के 15 जिलों की जमीनी पड़ताल-7: दूसरी लहर में क्या था उत्तर प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ का हाल
-डाउन टू अर्थ, डाउन टू अर्थ ने कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान देश के सबसे अधिक प्रभावित 15 जिलों की जमीनी पड़ताल की और लंबी रिपोर्ट तैयार की। इस रिपोर्ट को अलग-अलग कड़ियों में प्रकाशित किया जा रहा है। पहली कड़ी में आपने पढ़ा कि कैसे 15 जिले के गांव दूसरी लहर की चपेट में आए। दूसरी लहर में आपने पढ़ा अरुणाचल प्रदेश के सबसे प्रभावित जिले का हाल। तीसरी...
More »रसगुल्ला का टेस्ट लग रहा नमकीन, पोस्ट-कोविड बाद शुगर, बालों का झड़ना जैसी गंभीर समस्या; एक्सपर्ट से जानिए क्या है वजहें
-आउटलुक, कोई आपसे पूछे कि रसगुल्ला का स्वाद कैसा होता है? मीठा,स्वादिष्ट या नमकीन,कड़वा। स्पष्ट है कि आपका उत्तर पहला होगा। लेकिन, रांची की रहने वाली गुड्डू से आप पूछेंगे तो वो कहेंगी- नमकीन, कड़वा। 30 साल की गुड्डू अप्रैल-मई महीने में कोरोना महामारी की दूसरी लहर में संक्रमित हो गईं थीं। इस वायरस से उबरने के करीब तीन महीने बाद भी गुड्डू अपने स्वाद को लेकर परेशान हैं। वो आश्चर्य जताते हुए आउटलुक...
More »जिस तरह अंग्रेजों ने बिरसा मुंडा को जेल में मार डाला, उसी तरह भारत सरकार ने स्टेन को: स्वामी के साथी
-आउटलुक, "लेकिन हम फिर भी समूहों में गाएंगे, पिंजरे में बंद पंछी अभी भी गा सकता है।" ये शब्द किसी और के नहीं बल्कि फादर स्टेन स्वामी के थे, जिन्होंने जेल से अपने एक साथी जेसुइट पादरी को लिखे पत्र में कहा था। दोनों हाथों में लगातार झटके के साथ तेज पार्किंसंस बीमारी से पीड़ित स्टेन ने पत्र लिखने के लिए इस दर्द को उठाया, क्योंकि वो अन्य कैदियों की दुर्दशा को उजागर...
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