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30 साल में ना तो हटा जहरीला कचरा और ना ही बताई मृतक संख्या

दो और तीन दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात को भोपाल में हुई विश्व की भीषणतम गैस त्रासदी के तीस साल बीत जाने के बावजूद प्रशासन न तो अभी तक इस कांड के मृतकों से जुड़े आंकड़े उपलब्ध करा सका है और न ही इस कांड के लिये जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड परिसर में रखे गये 350 मीट्रिक टन कचरे को ही वहां से हटाया जा सका है। गैर...

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...जहां बीमारियों के साये में बीत रहा है बचपन

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 30 वर्ष पहले हुई दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी का असर अब भी बरकरार है। यूनियन कार्बाइड संयंत्र के आसपास की हर बस्ती इस बात की गवाही दे रही है कि यहां बचपन पर संकट बना हुआ है, यहां बीमारियां उनके जीवन को दीमक की तरह चट कर रही हैं। अब से 30 वर्ष पहले यूनियन कार्बाइड के संयंत्र से रिसी जहरीली गैस ने...

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आखिर किस कीमत पर विकास? - एमएम बुच

प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से कहा था कि भारत में तीव्र आर्थिक विकास और औद्योगीकरण आवश्यक है, किंतु उत्पादन की गुणवत्ता इतनी ऊंची होनी चाहिए कि विश्व भर में उसकी ख्याति हो। साथ ही विकास एवं औद्योगीकरण पर्यावरण के अनुकूल हो। इस ओर विशेष ध्यान दिया जाए कि विकास के कारण पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े। यूपीए सरकार से यह शिकायत रहा करती थी कि भू-अर्जन नीति...

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आखिर भोपाल को कब मिलेगी इस जहर से मुक्ति?

भोपाल। यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे का निपटान करने से जर्मन कंपनी के इनकार के बाद सरकार की उम्मीदें टूट गई हैं। जहरीला कचरा कारखाने के वेयर हाउस में रखा है। यह पहला मौका नहीं है, जब सरकार को कचरा निपटान के मामले में झटका लगा हो। इससे पहले भी तीन मर्तबा कचरे के खात्मे के लिए राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई कोशिशें नाकाम हो चुकी हैं। अब सरकार के...

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भोपाल गैस कांड के विषाक्त कचरे का छह महीने में निष्पादन हो: न्यायालय

नयी दिल्ली, नौ अगस्त, (एजेंसी) उच्चतम न्यायालय ने भोपाल में यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन की फैक्ट्री के आसपास फैले विषाक्त कचरे को हटाने के लिए समय सीमा निर्धारित करते हुए आज केन्द्र और मध्य प्रदेश सरकार को छह महीने के भीतर इसका निष्पादन करने का निर्देश दिया। प्रधान न्यायाधीश एस एच कपाड़िया की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, ‘‘यह निर्विवाद है कि फैक्ट्री के आसपास अभी भी बड़ी मात्रा में...

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