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कोई गुलाम योद्धा यह ना पूछे- क्यों युद्ध हारे( दैनिक जागरण, रांची संस्करण)

बीहड़ों में बागी होते हैं, डाकू तो पार्लियामेंट में होते हैं। फिल्म पान सिंह तोमर का यह डायलॉग सबकी जुबान पर है। आठ बार नेशनल चैंपियन रह चुके एथलीट पान सिंह तोमर सरकारी व्यवस्था में घिसकर अंतत: हथियार उठा लेता है और चंबल के बीहड़ों का कुख्यात डकैत बन जाता है। पलामू में 2001 में एक नक्सली श्याम बिहारी उर्फ विनय जी उर्फ सलीम ने आत्मसमर्पण किया था। उसे...

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विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें

जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...

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भ्रष्टाचार के खिलाफ़ वैश्विक जंग- एजी नूरानी

करीब दो सदी पहले 1788 में वारेन हेस्टिंग्स के महाभियोग कार्यवाही के समय एडमंड बर्क ने घोषणा की थी कि ‘घूसखोरी, गंदे हाथ से सने  महान साम्राज्य के प्रमुख गवर्नर का गरीब, दीन व पस्तहाल घूस लेना दरअसल किसी सरकार को मानवता की निगाह में गिरा, घृणित व तिरस्कृत बनाता है.’ 1977 में कंट्रोलिंग द ग्लोबल करप्शन ऐपडेमिक एक आलेख में रॉबर्ट एस लेइकन ने बर्क के अभियोग पर कड़ी टिप्पणी की कि ‘आजादी...

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