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हसदेव अरण्य: विधानसभा के संकल्प, सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे के बावजूद बढ़ता कोयला खनन

मोंगाबे हिंदी, 19 फरवरी छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित हसदेव अरण्य के जंगल में पेड़ों की कटाई जारी है। राज्यपाल से लेकर विधानसभा तक ने, हसदेव अरण्य में कोयला खदानों पर रोक लगाने की बात कही है। यहां तक कि छत्तीसगढ़ सरकार ने खुद सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दे कर किसी नई कोयला खदान को गैरज़रुरी बताया है। छत्तीसगढ़ के आदिवासी 1878 वर्ग किलोमीटर में फैले हसदेव अरण्य के घने जंगल में कोयला...

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क्या राजकोषीय संघवाद की गाड़ी हिचकोले खा रही है ?

समाचार माध्यमों से लेकर राजनीतिक गलियारों तक ‘राजकोषीय संघवाद’ का मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है। हाल ही में पेश किए गए केंद्रीय बजट 2024–25 ने इस चर्चा को और बढ़ावा दिया है। आँकड़े बता रहे हैं कि वितरण योग्य राशि (डिविजबल पूल) के आकार में कमी आ रही है। पिछले कई वर्षों से वित्त आयोगों की सिफारिशों को नज़रन्दाज किया जा रहा है। इस लेख में ‘राजकोषीय संघवाद’...

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बजट 2024: लैंगिक समानता, महिला सशक्तिकरण के लिए क्या खास होने वाला है?

इंडियास्पेंड, 01 फरवरी साल 2023 लैंगिक समानता के लिहाज से खासा महत्वपूर्ण साबित हुआ है। जहां एक तरफ महिलाओं के लिए संसद और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें सुनिश्चित करने वाले ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ को पास किया गया, वहीं महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए भारत की जी20 अध्यक्षता भी काफी सफल रही। लेकिन सिक्के के दूसरे पहलू की तरफ देखें तो तस्वीर कुछ और...

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बिहार में बालू के बढ़ते खनन से बिगड़ती नदियों की सेहत, बढ़ता अपराध सरकार के लिए चुनौती

मोंगाबे हिंदी, 24 जनवरी  दक्षिण बिहार के जमुई जिले के आखिरी छोर पर स्थित गरही थाने में तैनात दारोगा प्रभात रंजन 14 नवंबर 2023 को अवैध बालू उठाव की एक गुप्त सूचना के बाद सुबह-सुबह थाने से करीब पांच किमी दूर किउल नदी के तट पर स्थित चनरवर गांव पहुंचे। स्थानीय लोगों के अनुसार, वहां से प्रभात रंजन 1.5 किमी अंदर की ओर गए। वहां उन्हें व उनके सहयोगी पुलिसकर्मी राजेश...

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भारत की शिक्षा व्यवस्था पर 'असर' ने क्या असर डाला ?

औपचारिक शिक्षा के महत्त्व को देखते हुए अधिकांश अभिभावक-गण अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाहते हैं। बच्चों के लिए स्कूल ढूँढते हैं, बस्ता खरीदते हैं, पेन- पेन्सिल, कॉपी-किताब खरीदते हैं, स्कूल की पोशाक खरीदते हैं। तमाम सरकारों की भी यही कोशिश रही कि बच्चे स्कूल जाएँ। सरकारों ने विद्यालयों का निर्माण करवाया, शिक्षकों की नियुक्ति की और ज़रूरी सुविधाएँ उपलब्ध करवाई। पिछले कई दशकों में ऐसे कई कदम उठाए गए...

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