अपने देश में चिकित्सा पर्यटन यानी सस्ती एवं बेहतर चिकित्सीय सुविधाओं एवं सेवाओं के लिए देश के ही भीतर अथवा दूसरे देशों में की जाने वाली यात्रा, पिछले कुछ वर्षों में एक प्रमुख पर्यटन उत्पाद के रूप में उभरी है। इसकी वजह यहां की भौगोलिक विविधता और समृद्ध ऐतिहासिक विरासत और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं हैं, जिस कारण यहां आने वाला मरीज इलाज कराने के साथ-साथ आस-पास के इलाकों में घूमकर स्वास्थ्य लाभ भी...
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यह गरीबी और गैरबराबरी- कृष्ण प्रताप सिंह
संयुक्त राष्ट्र की रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर लीस ग्रैंड का कहना है कि भारत गरीबी उन्मूलन के संयुक्त राष्ट्र के सहस्नब्दी विकास लक्ष्य की दिशा में ‘उचित गति' से अग्रसर है और 2015 तक इसे प्राप्त कर लेगा. उनके कथन का आधार संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा तैयार करायी गयी वह रिपोर्ट है, जिसके अनुसार देश में व्यापक स्तर पर फैली गरीबी 1994 के 49 प्रतिशत से घट कर 2005 में 42 प्रतिशत...
More »घाटे के डर से सार्वजनिक खर्च से बच रही सरकार
नई दिल्ली [नितिन प्रधान]। राजकोषीय घाटे की चिंता सरकार को अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए जरूरी सार्वजनिक खर्च की रफ्तार बढ़ाने से रोक रही है। इसके बजाय सरकार अर्थव्यवस्था का माहौल बदलने के लिए नीतिगत फैसलों में बदलाव पर ज्यादा भरोसा कर रही है। निवेश के लिए फिलहाल सरकार पूरी तरह निजी क्षेत्र पर निर्भर कर रही है। चालू वित्त वर्ष 2013-14 की शुरुआत के बाद अब तक सरकार द्वारा लिए...
More »जब देश डूबें तो कौन बचाए!
नई दिल्ली, अंशुमान तिवारी; वित्तीय दुनिया चाहे जितनी पेंचदार हो, मगर यह हमेशा से एक अलिखित और व्यावहारिक भरोसे पर ही चलती है। रुपये अदा करने का वचन देने वाली कागजी मुद्रा (प्रॉमिसरी नोट) से लेकर अरबों डॉलर के बाडों और शेयरों तक फैला यही भरोसा अब दरकने लगा है। बात लीमन ब्रदर्स या बेरिंग्स नाम के बैंक अथवा एनरॉन या सत्यम जैसी कंपनी से भरोसा उठने की है ही...
More »गन्ना पेराई पर असमंजस बरकरार
उत्तर प्रदेश में समय से गन्ना मूल्य की घोषणा के बावजूद राज्य की ज्यादातर चीनी मिलों ने अपने पेराई सत्र की शुरुआत का ऐलान नही किया है। पेराई सत्र में हो रही देरी ने गन्ना किसानों की परेशानी को बढ़ाने का काम किया है। गन्ने का खेत खाली न होने की दशा में राज्य में गेहंू की बुआई पिछड़ सकती है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में किसानों ने...
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