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2023 के पहले तीन महीने में उत्तर पश्चिमी भारत में कम बारिश का अनुमान

डाउन टू अर्थ, 02 जनवरी  मौसम विभाग के मुताबिक सर्दियों के मौसम - जनवरी से मार्च 2023 के दौरान उत्तर पश्चिमी भारत के सात मौसम संबंधी हिस्सों, जिनमें पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख शामिल है, इनमें बारिश के सामान्य से कम होने का अनुमान है, जो कि लंबे समय की अवधि के औसत (एलपीए) का 86 फीसदी से कम है।...

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लद्दाख: बढ़ते तापमान व ब्लैक कार्बन से पिघलते ग्लेशियर, आपदा की आशंका

मोंगाबे हिंदी, 02 जनवरी पश्चिमी हिमालय के ग्लेशियर, जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के लिए पानी के स्रोत हैं। शोधकर्ताओं ने विभिन्न अध्ययनों में पाया है कि, ब्लैक कार्बन और ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ने के कारण ये जल-स्रोत तेजी से पिघल रहे हैं, जिसकी वजह से बर्फ से ढके इस इलाके की सफेदी कम हो रही है। हाल के एक अध्ययन में, उपग्रह से मिले डेटा का उपयोग करके लद्दाख क्षेत्र के द्रास...

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शून्य से नीचे तापमान में भी लद्दाख के किसान कर रहे गोभी, टमाटर और पालक जैसी कई सब्जियों की खेती

 गाँव कनेक्शन, 26 दिसंबर लद्दाख के खालसी गाँव के 50 साल के रिंचा अंगचुक पेशे से किसान हैं। उनके लिए सर्दियों के महीने हमेशा से संघर्षपूर्ण हुआ करते थे। कड़ाके की ठंड से बचने के अलावा, अपनी पत्नी और दो बेटियों को खिलाने के लिए पौष्टिक सब्जियां ढूंढना हमेशा से एक चुनौती रहा था। अंगचुक ने गाँव कनेक्शन को बताया, "सर्दियों के महीनों में टमाटर की कीमत 150 रुपये से 200...

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लद्दाख: बढ़ते तापमान व ब्लैक कार्बन से पिघलते ग्लेशियर, आपदा की आशंका

मोंगाबे हिंदी, 19 दिसंबर पश्चिमी हिमालय के ग्लेशियर, जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के लिए पानी के स्रोत हैं। शोधकर्ताओं ने विभिन्न अध्ययनों में पाया है कि, ब्लैक कार्बन और ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ने के कारण ये जल-स्रोत तेजी से पिघल रहे हैं, जिसकी वजह से बर्फ से ढके इस इलाके की सफेदी कम हो रही है। हाल के एक अध्ययन में, उपग्रह से मिले डेटा का उपयोग करके लद्दाख क्षेत्र के द्रास...

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खबरदार

  खास बात • गंगोत्री ग्लेशियर सालाना ३० मीटर की गति से सिकुड़ रहा है।* • अगर समुद्रतल की ऊंचाई एक मीटर बढ़ती है तो भारत में ७० लाख लोग विस्थापित होंगे।* • पिछले बीस सालों में ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी जिवाश्म ईंधन के दहन से हुई है।* • मानवीय क्रियाकलापों के कारण ग्लोबल ग्रीन हाऊस गैस के उत्सर्जन में लगातार बढोत्तरी हो रही है। अगर औद्योगीकरण के पहले के समय से तुलना करें तो मानवीय क्रियाकलापों...

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