“अगर संविधान पर ढंग से अमल होता तो सबको समान शिक्षा मिलती और गैर-बराबरी नहीं रहती, लेकिन सरकारों ने इसकी अवहेलना की, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ न केवल भटकाव बल्कि छलावा भी” घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए, जवाब-दर-सवाल है के इंकलाब चाहिए! -शलभ श्री राम सिंह हम भारत के लोग ने संविधान को 26 नवंबर 1949 को अंगीकार किया था। आज लगभग 70 साल के बाद देश का शासक...
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विपक्षी धारा का आधारहीन हो जाना-- बद्री नारायण
भारतीय राजनीति में विपक्ष लगातार कमजोर होता जा रहा है। इसे हमें राजनीतिक दलों और उनके नेतृत्व के हिसाब से ही नहीं, इन दलों के सामाजिक आधार के हिसाब से भी देखना होगा। विपक्ष में रहने की आदत और चाहत समाज के आगे बढ़े हुए तबकों में तो कमजोर हुई ही है, गरीबों और पिछड़ों आदि को भी लगातार विपक्ष में बने रहना उनके अस्तित्व के लिए मुश्किल लगता है।...
More »‘जम्मू कश्मीर की मीडिया को खुद नहीं पता कि राज्य में क्या हो रहा है’
केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रपति के आदेश से 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने से एक दिन पहले 4 अगस्त से ही राज्य में मोबाइल, लैंडलाइन और इंटरनेट सहित संचार के सभी संसाधनों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था. इसके पहले वहां भारी संख्या में अतिरिक्त सुरक्षा बलों को भी तैनात कर दिया गया था. संचार माध्यमों पर रोक...
More »ग्राम सभाओं की जरूरत-- डा. अनुज लुगुन
आम बजट में सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर बनाने का लक्ष्य रखा है. बजट पर अर्थशास्त्रियों के अपने-अपने मत हैं. बीबीसी की वेबसाइट में प्रकाशित एक आर्थिक विश्लेषण में कहा गया कि अर्थव्यवस्था कहां होगी और अर्थव्यवस्था में कौन कहां होगा, ये दो अलग-अलग और महत्वपूर्ण सवाल हैं. हमारा सवाल भी यही है कि अर्थव्यवस्था में कौन कहां होगा? इस सवाल को आर्थिक से ज्यादा सामाजिक...
More »वंशवाद समाप्त नहीं हुआ है-- नवीन जोशी
क कार्टून इन दिनों सोशल साइटों में वायरल हो रहा है. राहुल गांधी अपनी मां सोनिया गांधी की गोद में बैठकर अशोक गहलोत, पी चिदंबरम और कमलनाथ की ओर अंगुली उठाकर कह रहे हैं कि इन्होंने अपने बेटों को टिकट देने की जिद की. इस्तीफे तक की धमकी दी. बताते हैं कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल ने क्षोभ के साथ यह बात कही थी. कार्टूनिस्ट का तंज स्वाभाविक...
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