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2019-21 के बीच आत्महत्या करने वालों में दैनिक वेतन भोगियों और गृहिणियों की संख्या सर्वाधिक

द वायर, 15 फरवरी श्रम और रोजगार मंत्रालय ने सोमवार (14 फरवरी) को एक सवाल के जवाब में लोकसभा को बताया कि 2019 और 2021 के बीच देश भर में आत्महत्या से मरने वाले लोगों की सबसे बड़ी श्रेणी दैनिक वेतन भोगी (दिहाड़ी) लोगों की है. आत्महत्या के मामले में दूसरी सबसे बड़ी श्रेणी गृहिणियों की है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के डेटा के मुताबिक, स्व-नियोजित व्यक्तियों, बेरोजगारों और छात्रों की...

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1951 के बाद से देश में मतदाताओं की संख्या में छह गुना वृद्धि हुई

द वायर, 6 फरवरी भारत में 1951 के बाद से मतदाताओं की कुल संख्या में लगभग छह गुना वृद्धि देखी गई है और इस वर्ष यह संख्या 94.50 करोड़ से अधिक हो गई है. हालांकि इनमें से लगभग एक-तिहाई मतदाताओं ने पिछले लोकसभा चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं किया. बताया जा रहा है कि इस वजह से निर्वाचन आयोग अधिक से अधिक मतदाताओं को मतदान केंद्रों पर लाने के लिए...

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सीवर सफाई के दौरान मारे गए 104 लोगों के परिजनों को मुआवज़ा नहीं मिला: संसदीय समिति

द वायर, 20 दिसंबर संसदीय स्थायी समिति ने सीवर या सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान मारे गए 104 लोगों के परिवारों को मुआवजा जारी करने में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा देरी बरते जाने की बात कही है. इस संबंध में सामाजिक न्याय और अधिकारिता पर संसद की स्थायी समिति ने 16 दिसंबर को लोकसभा में रिपोर्ट पेश की थी. इस समिति की अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद रमा...

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पहली किस्त से 11वीं किस्त तक पीएम-किसान लाभार्थियों की संख्या दो-तिहाई घटी: रिपोर्ट

द वायर, 21 नवम्बर केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) आवेदन के जवाब में बताया कि केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत धनराशि प्राप्त करने वाले किसानों की संख्या 2019 में योजना की शुरुआत से इस साल मई-जून में वितरित 11वीं किस्त तक दो-तिहाई कम हो गई. पीएम-किसान को पिछले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले फरवरी 2019 में लॉन्च किया गया था, जिसके तहत केंद्र...

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मिल्क बॉयकाट, धरना- कैसे मालधारियों के आगे गुजरात सरकार को ‘काले’ मवेशी कानून मामले में झुकना पड़ा

दिप्रिंट, 27 सितम्बर गुजरात में काफी शक्तिशाली माने जाने वाले मालधारी समुदाय को भूपेंद्र पटेल सरकार को विवादास्पद आवारा पशु नियंत्रण विधेयक, या उनके शब्दों में एक काले बिल की वापसी के लिए बाध्य करने में छह महीने लग गए. और इस मामले में दबाव बनाने की पुरानी रणनीतियां ही उनके काम आईं, जिसमें मिल्क बॉयकाट, राजनीतिक स्तर पर चेताना, सड़कों पर विरोध प्रदर्शन और व्हाट्सएप और टेलीग्राम ग्रुप्स जैसे सोशल...

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