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गैर सरकारी संगठनों द्वारा जारी रिपोर्ट: कोविड-19 लॉकडाउन ने ग्रामीण जनजीवन को किया बुरी तरह प्रभावित!

-विकासनवेश फाउंडेशन, सम्बोधी, प्रोफेशनल अस्सिटेंस फॉर डेवल्पमैंट एक्शन (PRADAN), BAIF डेवलपमेंट रिसर्च फाउंडेशन (BAIF), एक्शन फॉर सोशल एडवांसमेंट (ASA), SATHI-UP, आगा खान ग्रामीण सहायता कार्यक्रम (AKRSP), ग्रामीण सहारा और ट्रांसफॉर्मिंग रूरल इंडिया फाउंडेशन(TRIF) द्वारा जारी किया गया प्रेस नोट, दिनांक 13 मई, 2020 ग्रामीण क्षेत्र की गरीब आबादी पर COVID 19 और लॉकडाउन के प्रभाव का आकलन करने के लिए सबसे बड़े सर्वेक्षण को प्रमुख गैर सरकारी संगठनों द्वारा किया गया....

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कोरोना संकट में मज़दूरों को ग़ुलामों में बदलता पूंजीवाद

-न्यूजक्लिक,  जब 7 मई की रात को यह लेख लिखा जाने लगा कि किस तरह वर्तमान में कोरोना संकट के दौर में पूँजीवाद का घिनौना चेहरा बेनकाब हो रहा है और प्रवासी मज़दूर बंधुआ मज़दूरों में बदल रहें है तो लिखते लिखते घर लौटते हुए प्रवासी मजूरों की मृत्यु के आंकड़े खोजने के चक्कर में यह अधूरा रह गया। फिर सोचा कि लेख अगले दिन पूरा होगा परन्तु जब सुबह हुई...

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लॉकडाउन के बाद समुद्र में फंसे हैं एक लाख मछुआरे और मछली मजदूर

-गांव कनेक्शन, जब आप इस लेख को पढ़ रहे हैं, तब कम से कम एक लाख मछुआरे और प्रवासी मछली मज़दूर महाराष्ट्र के तट से दूर अरब सागर में अपनी मछली पकड़ने वाली नावों में फंसे हुए हैं। राज्य में बड़ी संख्या में ऐसे मछुआरे रहते हैं जो गहरे समुद्र में मछली पकड़ते हैं और उन्हें इसके लिए कई दिनों या हफ्तों तक समुद्र में ही रहना पड़ता है। जब वे...

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जान बचाने भागता ये 'मोबाइल गेटकीपर'- पी साईनाथ

वह किसी तेज़ धावक की तरह 200 मीटर की दूरी को गोली की गति से पूरा करते हैं. हम उसके पीछे ऊबड़-खाबड़ रास्ते पर गिरते-पड़ते भागते हैं. वह मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग पर पहुंचते हैं और लाल झंडे को लहराते हुए रेलवे फाटक को बंद करते हैं. इसकी उम्मीद हममें से किसी को भी नहीं थी. तभी वे फिर ट्रेन की ओर घूमते हैं और ट्रेन को हरी झंडी दिखाते हैं. ट्रेन आगे बढ़ती...

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बीड़ी पत्ते में धुआं-धुआं ज़िंदगी -- सारदा लहांगीर

“छो...छोको भूंजी लोक पतर तुड़ले लागसी भोक....” ( हम लोग गरीब भुंजिया आदिवासी, पत्ता तोड़ते हुए भूख लगती है ) नुआपाडा जिले के सीनापाली गांव में रहने वाली 55 वर्षीय पहनी मांझी को जंगल में तेदूपत्ता तोड़ते हुए जब भूख लगती है तो वो अपना ध्यान बंटाने के लिए यहीं उड़ीया लोकगीत गुनगुनाती हैं. तेंदूपत्ता अप्रैल और मई महीने की चिलचिलाती धूप में जब हम अपने वातानुकुलित कमरे में बैठे आराम फरमा...

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